आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई है। अपने पूर्वजों का तर्पण करने बड़ी संख्या में लोग नदी, और तालाबों के पास पहुंच रहे हैं। जहां परिवार की सुख शांति के लिए आशीर्वाद मांग रहे हैं। मान्यता है कि भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है और आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष रहता है। पंडित उपेंद्र शास्त्री ने बताया कि हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इसमें पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस पक्ष में विधि-विधान से पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शीवाद प्राप्त होता है। पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिसके चलते सिवनी जिले के नदी एवं सरोवरों में लोगो ने आज पितृ पक्ष के पहले दिन तर्पण किया। मृत्यु की तिथि पर होता है श्राद्ध पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर संबंधित कार्य करने से व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जाता है। इस पक्ष में श्राद्ध तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं। और आर्शीवाद देते हैं। पितर दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध, तर्पण करना शुभ होता है। श्राद्ध पूजा की सामग्री रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता, पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़, मिट्टी का दीया, रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना। नदी, तालाब और घरों में तर्पण जिले के बैनगंगा नदी के लखनवाड़ा, भीमगढ़, सुनवारा, देवघाट, मझगवां सहित अन्य घाटों व धनोरा, केवलारी, घंसौर, धनोरा, छपारा, लखनादौन, कुरई विकासखंडों मे लोगों ने पितृ तर्पण किया।