जबलपुर में तहसीलदार पर हुई FIR और गिरफ्तारी की कार्रवाई के विरोध में प्रदेशभर के तहसीलदार एकजुट हो गए हैं। बुधवार को हरदा जिले के सभी तहसीलदारों एवं नायब तहसीलदारों ने कलेक्टर आदित्य सिंह को ज्ञापन सौेपकर एफआईआर निरस्त करने की मांग की है। साथ ही ज्ञापन सौपने के बाद अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं। बता दें कि जबलपुर जिले में फर्जी वसीयतनामा के आधार पर तहसीलदार तथा पटवारी पर कार्यालय में पदस्थ महिला कम्प्यूटर ऑपरेटर के पिता के नाम पर एक हेक्टेयर से अधिक जमीन सरकारी अभिलेख में दर्ज करवाने का आरोप था। सरकारी अभिलेख में नाम दर्ज होने के बाद उक्त जमीन को बेच दिया गया। पुलिस ने इस फर्जीवाड़े में तहसीलदार तथा पटवारी सहित सात व्यक्तियों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था। तहसीलदारों का कहना है कि उक्त एफआईआर दर्ज करवाने के पूर्व कलेक्टर ने शासन से भी अनुमति प्राप्त नहीं की, जो कि आचरण संहिता का स्पष्ट उलंघन है। संघ की जिलाध्यक्ष एवं हरदा तहसीलदार लवीना घाघरे का कहना है कि तहसीलदार ने गलती की है तो अपील से आदेश निरस्त कर दिया। तहसीलदार पर और सख्ती करनी है तो उसे जांच कराकर टर्मिनेट किया जा सकता है लेकिन सरकारी जमीन न होने के बाद भी निजी जमीन के मामले में इस तरह की कार्रवाई विधि विपरीत है। अब प्रोटेक्शन एक्ट में अधिकार के बाद भी नियम विरुद्ध तहसीलदार पर की गई एफआईआर वापस ली जाए। उन्होंने कहा है कि सभी तहसीलदार भू राजस्व संहिता की धारा 31 के अंतर्गत पीठासीन अधिकारी के रूप में प्राप्त शक्तियों के आधार पर काम करते हैं और शासन के 56 विभागों के कामों का क्रियान्वयन भी किया जाता है।