गणेश उत्सव के अंतिम दिन सोमवार को महाकाल चौराहे पर महाकाल वन के युवराज गणेश उत्सव समिति ने प्रसाद के रूप में भगवान गणेश के पूजन के दौरान चढ़ने सुपारी बांटी गई। ख़ास बात ये रही की इस पंडाल में एक लाख 25 हजार पूगीफल (सुपारी) से निर्मित गणेश जी की 21.5 फ़ीट की भव्य प्रतिमा विराजित की थी जिसे इंदौर और बंगाल से आए 25 कलाकारों ने बनाया था। इस सुपारी से निर्मित प्रतिमा का नाम लन्दन बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। है। महाकाल मंदिर चौराहे पर प्रति वर्ष के अनुसार इस बार भी महाकाल वन युवराज नामक पंडाल में भगवान गणेश जी की प्रतिमा को चतुर्थी पर विराजित कीया था। लेकिन इस बार ख़ास बात ये रही की इस अद्धभुत प्रतिमा को सवा लाख पूजन की सुपारी पूगीफल से बनाया गया था। संस्था के अध्यक्ष बाबू यादव ने बताया कि गणेश जी की इस ख़ास मूर्ति को 29 मई से बनाना शुरू किया था। ढाई महीने की अथक मेहनत से 25 कारीगरों से इसे तैयार किया था करीब दो लाख 90 हजार रुपए मूर्ति को बनाने में लग गए। अब मंगलवार को मूर्ति को शिप्रा नदी में प्रवहित किया जाएगा। सवा लाख सुपारी से बनी मूर्ति रिकॉर्ड में दर्ज – बाबू यादव ने बताया कि वर्ल्ड ऑफ़ रिकॉर्ड लन्दन से आये अधिकारियों ने सवा लाख सुपारी पूगीफल से बनाए गाने गणेश प्रतिमा का निरिक्षण कर रिकॉर्ड महाकाल इंटरनेशनल चौराहे पर विराजित महाकाल वन के युवराज का नाम रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। बाबू यादव ने बताया कि मंगलवार को गणेश जी की प्रतिमा का वित्सर्जन शिप्रा नदी में किया जाएगा। महाकाल के युवराज गणपति उत्सव बड़े धूमधाम से प्रति वर्ष मनाया जाता है। आयोजन बीते 11 साल से हो रहा है जिसमें बड़ी प्रतिमाओं को पंडाल मे बैठाया जा रहा है. इसके पहले छोटी प्रतिमा हर साल विराजित होती थी।