मृतका का पति बोला-इलाज के लिए डॉक्टर के पैर पकड़े:रीवा में आंगनवाड़ी सहायिका की मौत ; अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों से किया इंकार

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रीवा में आंगनबाड़ी सहायिका की इलाज के दौरान मौत हो गई। जिसका इलाज संजय गांधी स्मृति अस्पताल में चल रहा था। महिला की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर भारी लापरवाही के आरोप लगाए हैं। परिजनों का कहना है कि नियम के मुताबिक मरीज के पास एक अटेंडर रुक सकता है। लेकिन डॉक्टरों ने महिला के पति तक को उसके पास से भगा दिया। फिर उसकी मौत की सूचना दे दी। जबकि पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन ने किसी भी तरह की लापरवाही से इंकार किया है। आरोपों को भी गलत बताया है। परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप परिजन सुनील साकेत ने बताया कि अनीता साकेत पति शिवनरेश साकेत उम्र 40 साल आंगनवाड़ी में ड्यूटी खत्म कर घर की तरफ जा रहीं थी। इतने में बैल ने हमला कर दिया। हमले में अनीता बुरी तरह घायल हो गई। जिसका संजय गांधी अस्पताल में इलाज चल रहा था। मेरा नाम विनोद कुमार साकेत है। मैं मृतका का भाई हूं। मेरी बहन के इलाज में पूरी तरह से लापरवाही की गई है। अगर उसका सही से इलाज किया जाता तो उसकी मौत नहीं होती। पति- बोला डॉक्टर के पैर पकड़े, आवास पर पैसे लेकर गया मेरा नाम शिव नरेश साकेत है। मैं सगरा थाना क्षेत्र के मनकहरी का रहने वाला हूं। मैंने अपनी पत्नी को गंभीर हालत में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था। इलाज के दौरान मुझे मेरी पत्नी को देखने तक नहीं दिया जा रहा था। मैंने विनती करी कि मुझे मेरी पत्नी को एक बार देख लेने दीजिए। डॉक्टर ने कहा कि तुम्हें अपनी पत्नी को जहां ले जाना हो ले जाओ। दोबारा मैं रुपए लेकर उनके आवास पर गया। मैंने उनके पैर पकड़ लिए तो वो मुझसे कहने लगे कि तुम नेतागिरी कर रहे हो। मैं काफी देर तक रोता रहा और फिर वापस लौट आया। मेरी पत्नी तो लापरवाही का शिकार हो गई। लेकिन फिर किसी के साथ दोबारा इस तरह की स्थिति ना हो। दूसरे मरीजों की जिंदगी बच जाए। हम लोग बस यही चाहते हैं। अस्पताल प्रबंधन ने कहा- आरोप निराधार वहीं पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन ने किसी भी तरह की लापरवाही से इंकार किया है। अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक महिला को गंभीर अवस्था में इलाज के लिए संजय गांधी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जिसका इलाज आईसीयू वॉर्ड में किया जा रहा था। डॉक्टर अपनी ओर से हर मरीज की जान बचाने की पूरी कोशिश जरूर करते हैं। अस्पताल में इलाज के लिए कोई भी डॉक्टर या कर्मचारी किसी भी तरह से पैसे की डिमांड नहीं करता। परिजनों की तरफ से लगाए गए आरोप निराधार हैं।