वन कर्मचारी शहीद दिवस पर बुधवार को मप्र वन कर्मचारी मंच ने वन भवन स्थित शहीद स्तंभ पर पुष्पचक्र अर्पित कर शहीद वनकर्मियों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। साथ ही जंगल-जमीन, वन्यप्राणियों को बचाने का संकल्प लिया और पौधारोपण भी किया। इस मौके पर कर्मचारियों ने पिछले 10 साल में कर्तव्यभूमि पर शहीद होने वाले 48 वन कर्मचारियों को याद किया। मंच के अध्यक्ष अशोक पांडे ने कहा कि अब सरकार वन कर्मचारियों को भी शहीद कर दर्जा दे रही है। इससे उनके परिवार की आर्थिक मदद हो जाती है। इसके लिए कर्मचारियों ने लंबा संघर्ष किया है। मुझे प्रसन्नता है कि यह संघर्ष काम आया। उन्होंने कहा कि जंगल और वन्यप्राणी ईको सिस्टम का हिस्सा हैं। इसी से प्रभावी पर्यावरण बनता है। हमें खुशी है कि कुदरत ने जंगल, जमीन और वन्यप्राणियों की रखवाली की जिम्मेदारी हमें सौंपी है। पांडे कहते हैं कि हमारा कर्तव्य बनता है कि हम एक भी पेड़ न कटने दें, जंगल की भूमि पर अतिक्रमण न होने दें और वन्यप्राणियों का शिकार न होने दें। इसलिए कर्मचारी संकल्प लें कि हम अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से पालन करेंगे। कर्मचारियों ने भी शपथ लेकर भरोसा दिलाया कि उनके होते हुए जंगल और वन्यप्राणियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। यहां उन शहीदों के कार्यों को याद किया गया, जिन्होंने कर्तव्यवेदी पर अपनी आहुति दे दी। वहीं सतना शहर में वनमंडल कार्यालय में मौजूद शहीद स्तंभ पर भी पुष्पांजलि अर्पित की गई। श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने वालों में अशोक पांडे, राजू सिंह, जेम्स एंथोनी, घनश्याम कटारे, हीरा यादव, राजाराम मोरे, बृजलाल साहू, राहुल सिंह, भगवान सिंह यादव, अरुण तिवारी, जितेंद्र सिंह राजपूत, पुष्पेंद्र मिश्रा, हरिदास हरियाले, रमेश सोनवाने, महेंद्र राव, अखिलेश पाल, दिनेश वंशकार, आनंद मोहे, राम बहादुर अहिरवार, बहादुर शाउ आदि शामिल थे।