जिले के पथरिया ब्लाक के सूखा गांव में स्कूली बच्चों से टॉयलेट साफ कराने का मामला सामने आया है। बच्चों के परिजनों ने आरोप लगाया है कि गांव के मिडिल स्कूल उनके बच्चों से टॉयलेट साफ कराया जा रहा है। इस पूरे मामले में स्कूल के शिक्षक कुछ बोलने को तैयार नहीं है। वहीं, बीआरसी कह कहना हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए, हम जांच करवाते हैं। स्कूल प्रबंधन से गांव के लोग काफी नाराज हैं। अभिभावक नन्हें लाल अहिरवार ने बताया कि उसके दो बच्चे हैं एक पांचवी में पढ़ता है और दूसरा छठवीं। स्कूल में पढ़ाई तो होती नहीं। छठवीं क्लास के बच्चे से ठीक से लिखना भी नहीं आता। उनसे पूंछो तो कहते हैं कि स्कूल में पढ़ाई नहीं होती। अब बच्चों से केवल टॉयलेट साफ कराया जाता है। कल मेरी पत्नी स्कूल के पास से निकल रही थी तो देखा कि मेरे बच्चे टॉयलेट साफ कर रहे हैं। मेरी पत्नी ने इस पर आपत्ति भी दर्ज कराई थी। शिक्षक मेरी पत्नी से कह रहे थे कि स्कूल में कोई चपरासी नहीं है और न ही कोई सफाई वाला। अब शिक्षकों ने इस मामले में चुप्पी साध ली है। एक और परिजन देवेंद्र अहिरवार ने बताया स्कूल में चार शिक्षक पदस्थ हैं। मौके पर केवल श्रीराम पटेल ही मौजूद हैं। तीन शिक्षकों का पता नहीं जिसमें ज्योति सेन, नीति एल मिश्रा और सरिता शामिल है। यह महिला शिक्षक हमेशा या तो देर से आती है या फिर स्कूल ही नहीं आती। बीआरसी ने दिया जांच का आश्वासन इस मामले में पथरिया बीआरसी जितेंद्र जैन का कहना है कि स्कूल में शिक्षक नियमित रूप से क्यों नहीं पहुंच रहे हैं इसमें कितनी सच्चाई है इसकी जानकारी ऑनलाइन फीडिंग से निकाल लेंगे। स्कूल में नियमित रूप से बच्चों की पढ़ाई होनी चाहिए। स्कूल के बच्चों से टॉयलेट साफ कराने की बात है तो ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर किसी स्वच्छता अभियान के तहत बच्चे साथ मिलकर साफ सफाई करते हैं तो वह बात अलग है, लेकिन केवल बच्चों से ही स्कूल में इस तरह से टॉयलेट साफ करवाना गलत है। मैं अभी जन शिक्षक को भेजकर मामले की जांच करवाता हूं और जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ वरिष्ठ अधिकारियों को प्रतिवेदन भेजा जाएगा।