MP का जैकेट वाला शहर, शिवपुरी जिले का बदरवास। यहां बाजार तो जैकेट से गुलजार रहता ही है। हर 5वें घर में महिलाएं जैकेट की सिलाई करती दिख जाएंगी। यहां की बनी जैकेट देशभर में मिल जाएंगी। वजह, कपड़े की बेहतर क्वॉलिटी और कम दाम। बदरवास की जैकेट का रेट 80 रुपए से लेकर अधिकतम 300 रुपए तक है। यहां हर दिन 8 से 10 हजार जैकेट बनती हैं, जिसे 4 हजार से ज्यादा लोग तैयार करते हैं। कारीगरों में 70 फीसदी महिलाएं हैं। पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान तक पहन चुके इन बदरवास की जैकेट की चर्चा इन दिनों जोरों पर है। कारण, ग्वालियर रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में अडानी ग्रुप द्वारा यहां 500 करोड़ रुपए के इन्वेस्टमेंट का ऐलान करना। ग्रुप यहां जैकेट फैक्ट्री खोलने जा रहा है। इसके लिए जमीन भी सिलेक्ट कर ली गई है और फाइल मंजूरी के लिए भोपाल भेजी जा चुकी है। ग्वालियर चंबल में करोड़ों के निवेश की बात पर दैनिक भास्कर की टीम जैकेट वाले शहर बदरवास पहुंची। यहां जैकेट बनाने की शुरुआत से लेकर अडानी ग्रुप की फैक्ट्री के बारे में जाना… टीम शहर में पहुंची तो यहां घराें में महिलाएं जैकेट की सिलाई करती नजर आईं। बाजार में भी सबसे ज्यादा जैकेट की नजर आईं। लोगाें से जैकेट को लेकर सवाल किया तो बोले- 22 साल पहले हमारे यहां के कपड़ा कारोबारी रमेशचंद्र अग्रवाल ने लोन लेकर किराए की दुकान से इसकी शुरुआत की थी। आज यहां के जैकेट कारोबार का सालाना टर्नओवर करोड़ों में है। 2002 में बदरवास में जैकेट बनाने की शुरुआत हुई कारोबारी रमेशचंद्र अग्रवाल से मिलने टीम उनकी फैक्ट्री में पहुंची, जहां सिर्फ जैकेट ही जैकेट थे। सिलाई मशीन की आवाज के बीच कुछ लोग कटिंग तो कुछ काज बटन करने में जुटे हुए थे। अग्रवाल भी हिसाब-किताब में लगे थे।
टीम ने उसने जैकेट की शुरुआत को लेकर बात की। उन्होंने कहा- बदरवास कस्बे में जैकेट बनाने की शुरुआत मैंने 22 साल पहले 2002 में की थी। वे बताते हैं कि साल 1977 में उन्होंने 1300 रुपए इन्वेस्ट कर रेडीमेड शॉप खोली थी। वे दिल्ली से रेडीमेड कपड़े और जैकेट लाकर बदरवास में बेचा करते थे। बदरवास में सबसे ज्यादा खपत जैकेट की हुआ करती थी। दिल्ली वाले पुराने कपड़े से जैकेट बनाते थे अग्रवाल पुराने दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि वे दिल्ली रेडीमेड कपड़े लेने जाया करते थे। बदरवास में जैकेट की खपत अच्छी थी, लेकिन दिल्ली के कारोबारी जैकेट बनाने के लिए पुराने कपड़े का इस्तेमाल करते थे। यह माल बेचने का मन नहीं करता था, लेकिन व्यापार भी करना था। साढ़े 7 लाख का लोन लेकर जैकेट बनाना शुरू किया अग्रवाल कहते हैं कि कारोबार को शुरू करने के लिए खादी ग्राम उद्योग से साढ़े 7 लाख रुपए का लोन लिया। एक किराए की दुकान में जैकेट बनाने की फैक्ट्री शुरू की। कपड़े के लिए राजस्थान के भीलवाड़ा का रुख किया। यहां मील में जो वेस्टेज कपड़ा बचता था, वह लेकर आया। नए कपड़े से बनी जैकेट की अच्छी खपत से कारोबार चल निकला। कारोबार बढ़ा तो जैकेट फैक्ट्री को 2004 में निजी भवन में शिफ्ट कर लिया। शुरुआती दौर में हर दिन 10 से 12 जैकेट ही बना पाते थे। धीरे-धीरे मांग के अनुरूप काम बढ़ता गया। अभी महीने में 1200 से भी अधिक जैकेट बना रहे हैं। जिनसे खरीदते थे, आज उन्हीं को कर रहे सप्लाई अग्रवाल बताते हैं कि अपने ग्राहकों को पुराने कपड़े की जगह नए कपड़े की जैकेट बनाकर देते थे, जिससे लोगों में उनका विश्वास जागने लगा। फेरीवाले 8-8 दिन बदरवास में रुककर जैकेट की खेप ले जाकर बेचा करते थे। आज जिन व्यापारियों से वे जैकेट खरीदकर बेचने के लिए लाया करते थे, दिल्ली के वही व्यापारी मुझसे जैकेट खरीदकर दिल्ली से बेच रहे हैं। आज हम एमपी, उत्तरप्रदेश, बिहार, गुजरात और महाराष्ट्र में सप्लाई कर रहे हैं। इस काम में 200 से ज्यादा लोग लगे हैं। नेपाल, चीन, मलेशिया में जैकेट की डिमांड अग्रवाल ने बताया कि यदि फैक्ट्री लगेगी तो विकास होना स्वाभाविक है। लोगों को रोजगार मिलेगा। 22 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, सीएम डॉक्टर मोहन यादव जुड़े थे। कलेक्ट्रेट और उद्योग विभाग की ओर से मुझे भी जुड़ने को कहा गया था। मैंने बैठक में बताया था कि अभी हमारा माल देशभर में जाता है। नेपाल, चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, मलेशिया में हमारे माल की काफी डिमांड है। बाहर माल कैसे भेजना है, अभी कई कारोबारियों की इसे लेकर समझ कम है, यदि यहां कोई एक्सपोर्ट-इंपोर्ट को लेकर केंद्र खुल जाए या एक्सपर्ट का मार्गदर्शन मिल जाए तो हमारे व्यापार को बहुत फायदा होगा। मोदी जी और शिवराज जी को गिफ्ट की जैकेट अग्रवाल ने बताया कि हमारे यहां के जैकेट कम रेट में अच्छे कपड़े से बनाए जाते हैं। 2017 के उपचुनाव में पूर्व सीएम शिवराज को जैकेट भेंट की थी। उन्होंने कोलारस की सभा में कहा था- इस जैकेट को देश ही नहीं, विदेशों तक पहुंचाऊंगा। लोकसभा चुनाव में सीएम डॉ. मोहन यादव को भी जैकेट भेंट की थी। उन्होंने कहा था कि इस जैकेट के लिए मैं कुछ सोच रहा हूं। श्योपुर में कूनो प्रोजेक्ट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी यहां से जैकेट भेजी गई थी। 2021 में दिल्ली अंतर राष्ट्रीय व्यापार मेले में बदरवास जैकेट को प्रजेंट किया गया था। प्राइवेट सेक्टर में क्वॉलिटी और रेट के हिसाब से सेकंड प्राइज मिला था। टर्नओवर करोड़ों में, दाम हैरान करने वाले टीम ने जैकेट के कारोबार को जाना तो यहां जो रेट बताए गए, वो हैरान करने वाले थे। यहां के कारोबारी 80 रुपए से लेकर अधिकतम 300 तक की जैकेट बनाते हैं। बच्चों की जैकेट 40 रुपए से लेकर 150 रुपए के थोक के भाव में मिल जाती हैं। यही वजह है कि कम दामों में यहां अच्छे किस्म की जैकेट मिलती है, जिससे देशभर के लोग यहां की जैकेट को पसंद करते हैं। अकेले कारोबारी अग्रवाल का ही सालाना टर्नओवर 3 करोड़ से ज्यादा का है। इसके अलावा भी कई करोबारी हैं, जिनका सालाना टर्नओवर करोड़ों में है। अडानी ग्रुप ने महिलाओं को ट्रेनिंग देना शुरू किया टीम ने जब लोगों से पूछा- क्या आपको पता है, बदरवास में अडानी ग्रुप करोड़ों का इन्वेस्ट कर जैकेट फैक्ट्री लगाने जा रहा है, तो वे झट से बोले- हां, कंपनी वालों ने तो महिलाओं को ट्रेनिंग देना भी शुरू कर दिया है। शहर से करीब 3 किमी दूर बूढ़ाडोंगर गांव में जमीन भी फाइनल हो गई है। अच्छा है, इससे रोजगार मिलेगा, काम की तलाश में बाहर नहीं जाना पड़ेगा। टीम ट्रेनिंग सेंटर पहुंची तो पाया कि अभी फैक्ट्री का काम तो शुरू होना बाकी है, लेकिन अडानी ग्रुप द्वारा भेजी गई ATDC की टीम ने महिलाओं को सिलाई में और सफाई कैसे आए, इसकी ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है। ट्रेनर पूर्णिमा अग्रवाल ने बताया कि फैक्ट्री में काम करने वाली करीब 1500 महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। प्रतिदिन दो बैच में ट्रेनिंग हो रही है। एक बैच में 30 महिलाओं को सिलाई की बारीकियां सिखाई जा रही हैं। एक बैच की ट्रेनिंग 45 दिन में पूरी होती है। इसके बाद दूसरे बैच की ट्रेनिंग शुरू होती है। हम तीन साल में 1500 महिलाओं को तैयार करेंगे। उन्होंने बताया कि फैक्ट्री में जैकेट के साथ-साथ शर्ट-पैंट समेत दूसरी ड्रेस भी तैयार की जाएगी। हालांकि, सबसे ज्यादा फोकस जैकेट पर रहेगा। आजीविका मिशन से जुड़ी 287 महिलाएं बना रहीं जैके जैकेट के बढ़ते कारोबार को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने भी आजीविका मिशन के जरिए बदरवास में जैकेट प्रोड्यूसर कंपनी लिमिडेट का संचालन शुरू किया। इस कंपनी को 30 मई 2023 को खोला गया था। इसमें आजीविका मिशन से जुड़े समूह की महिलाएं जैकेट बनाने का काम करती हैं। इस संस्था की अध्यक्ष राधा कुशवाह और सचिव सीमा ओझा ने बताया कि वर्तमान में इस रोजगार से 287 महिलाएं जुड़ चुकी हैं, जबकि उन्हें महिलाओं की संख्या 350 करनी है। अब तक इस संस्था के जरिए 2300 जैकेट बनाई जा चुकी हैं। कंपनी के सीईओ एकलव्य वाजपेई ने बताया कि बदरवास में जैकेट का कारोबार कर रहे हैं। अभी कंपनी में महिलाएं जैकेट बनाने का का काम करती हैं। इसके बाद हम वेस्ट कोड जैकेट बनाने की ट्रेनिंग महिलाओं को देने वाले हैं। इसमें हमारे द्वारा करीब 3000 हजार महिलाओं को जोड़ा जाएगा। महिलाओं को मिलेगा ज्यादा काम अधिकारियों का कहना है कि अडानी ग्रुप बदरवास में जो फैक्ट्री लगाने जा रहा है, उसका ज्यादातर काम महिलाएं देखेंगी। फैक्ट्री लगने के बाद ढाई से तीन हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। यहां 24 घंटे तीन शिफ्ट में काम होगा। बड़ी बात यह है कि अभी जो बदरवास में करीब 4000 लोग जैकेट का व्यापार कर रहे हैं, अभी भी यहां महिलाओं की भागीदारी बहुत ज्यादा है। 12 जैकेट की सिलाई पर मिलते हैं 300 से 400 रुपए जैकेट बनाने वाली महिलाओं ने बताया कि वे कारोबारियों से कपड़ा सहित अन्य सामान ले जाकर घर पर जैकेट तैयार करती हैं। उन्हें 12 जैकेट की कटिंग का सेट और सिलाई का सामान दिया जाता है। इसके एवज में 300 से 400 रुपए मिलते हैं। यानी प्रति जैकेट सिलाई पर 20 से 35 रुपए तक मिल जाते हैं। ग्रामीण बोले– फैक्ट्री लगने से बच्चे दूसरे शहर नहीं जाएंगे