ग्वालियर में सूदखोरों ने युवक को इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई। कसूर सिर्फ ये था कि युवक ने 3 साल पहले 20% ब्याज पर 20 हजार रुपए उधार लिए थे। इन 3 साल में उसने 60 हजार रुपए चुका भी दिए, लेकिन मूल रकम 20 हजार बाकी ही रही। मामला ग्वालियर के जनकगंज थाना इलाके में जीवाजीगंज का है। यहां नाग देवता मंदिर वाली गली में रहने वाले दीपक सविता ने बच्चों की स्कूल फीस भरने के लिए 20 हजार रुपए ऋषभ तोमर से उधार लिए थे। रकम चुका न पाने का आरोप लगाते हुए 21 अगस्त को ऋषभ और उसके साथी पीयूष लोधी ने दीपक को बीच रोड पर जमकर पीटा। 31 अगस्त को दिल्ली के अस्पताल में उसकी मौत हो गई। इस मारपीट के 1 दिन पहले 19 अगस्त को दीपक ने केक काटकर 35वां बर्थडे मनाया था। इसी दिन रक्षाबंधन भी था। पैसे नहीं होने की वजह से दीपक बहनों से राखी बंधवाने में झिझक रहा था। बहनों ने जिद करके राखी बांधी थी। अब बर्थडे का यही आखिरी वीडियो देखकर उनके बच्चे और परिवार के लोग खूब रोते हैं। उधार चुकाने के लिए मांगी थी मोहलत दीपक सैलून चलाता था। जिस ऋषभ से उसने 20 हजार रुपए उधार लिए थे, वह इलाके का दबंग है। ऋषभ ने 21 अगस्त की रात दीपक को जीवाजीगंज कार्तिकेय मंदिर के पास मिलने बुलाया। आते ही पैसों का तकादा किया। दीपक ने उधार चुकाने के लिए मोहलत मांगी। ऋषभ राजी नहीं हुआ। इसी बात पर बहस हुई तो ऋषभ के साथ आए पीयूष ने कट्टे से हवाई फायर कर दिया। फिर दोनों ने मिलकर दीपक को बेरहमी से पीटा। आरोपियों की 3 दिन में हो गई जमानत मारपीट से घायल दीपक को लेकर परिजन जयारोग्य अस्पताल पहुंचे। यहां से उसे दिल्ली रेफर कर दिया गया। 10 दिन चले इलाज के बाद 31 अगस्त की सुबह दीपक ने दम तोड़ दिया। पुलिस ने मामला तो दर्ज किया, लेकिन आरोपियों को तीन दिन में ही जमानत मिल गई। दीपक के पिता जगदीश सविता का आरोप है कि सूदखोर रसूखदार हैं। उनके कई नेताओं से संबंध हैं। इसी कारण वे आजाद घूम रहे हैं। सूदखोर हर महीने पैसा बढ़ाते जाते थे दीपक की पत्नी कीर्ति ने बताया, ‘2 जून 2013 को हमारी शादी हुई थी। दो बच्चे हैं। बड़ी बेटी अवनी 10 साल और बेटा नकुल 8 साल का है। बेटी चौथी और बेटा पहली क्लास में जीवाजीगंज स्थित समर्थ बाल मंदिर स्कूल में पढ़ते हैं। बच्चों की फीस भरने के लिए 20 हजार रुपए उधार लिए थे, जो सूदखोर ने 20 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज पर दिए थे। हर महीने के साथ सूदखोर इस पर पैसा बढ़ाते चले गए। 60 हजार रुपए दे चुके थे, इसके बाद भी सूदखोर और रुपए मांग रहे थे। वे त्योहार से दो दिन पहले धमकाकर जाते थे। जबरन घर से उठा ले जाते थे। मेरे पति आए दिन दहशत में रहते थे। सुबह से शाम तक सैलून, रात को मजदूरी करता था दीपक के पिता जगदीश सविता ग्वालियर विकास प्राधिकरण में नौकरी करते हैं। बड़े भाई की तबीयत अक्सर खराब रहती है। दीपक परेशानी से गुजर रहा था, यह पूरा परिवार जानता था। इसके बावजूद दीपक ने हिम्मत नहीं हारी। सुबह से शाम तक सैलून पर काम करने के बाद रात को ट्रांसपोर्ट नगर में मजदूरी करता था। इस रक्षाबंधन पर रुपए नहीं थे, तो बहनों से कहा था कि इस बार राखी नहीं बंधवाऊंगा। हालांकि, बहनों ने घर आकर उन्हें राखी बांधी थी। वे नहीं जानती थीं कि अपने भाई को आखिरी बार राखी बांध रही हैं। पत्नी बोली- बच्चों को पालने के लिए मिले नौकरी दीपक की हत्या के बाद उनका परिवार बिखर गया है। पत्नी कीर्ति ने कहा, ‘दो बच्चों को पालने के लिए काम करना पड़ेगा। मुझे नौकरी और बच्चों की परवरिश के लिए 50 लाख रुपए दिए जाएं। सरकार से ये भी मांग है कि आरोपियों के मकान तोड़े जाएं।’