पोला पाटन पर्व के दूसरे दिन मारबत का यह पर्व मनाया जाता है। प्राचीन समय से चली आ रही परंपरा के तहत 3 सितंबर मंगलवार को जिला मुख्यालय सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में नारबोद पर्व धूमधाम से मनाया गया। नगरीय क्षेत्र सहित ग्रामीण अंचलों में मारबत निकाली गई और उसे गांव के बाहर की सीमा पर ले जाकर उसका दहन किया गया। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में घर की सुख समृद्धि और शांति के लिए लोगों ने पूतना नामक पुतले को गांव के बाहर ले जाकर उसका दहन किया गया और नदी और तालाबों में मिट्टी की बनाई गई मारबत का विसर्जन किया। बालाघाट नगर में प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी बूढ़ी शिव मंदिर के पास से पूतना नामक रक्षसी का पुतला निकाला गया। जिसे शहर के मार्गों से निकालकर नगर की सीमा के बाहर ले जाकर घेऊन उसका दहन किया। प्राचीन मान्यता के अनुसार बारिश के इस मौसम में, मौसमी बीमारियों और महामारी का डेरा जम जाता है। मौसमी बीमारियों और महामारी से गांव को बचाने के लिए लोग एक पुतला बनाकर उसे गांव के बाहर ले जाकर उसे जला देते हैं। वहीं बीमारियों को साथ ले जाने का उद्घोष करते हैं। मान्यता के अनुसार इस पर्व को असुर शक्ति पर विजय के रूप में मनाया जाता है और पूतना के पुतले को ही मारबत कहा जाता है।