पीला सोना के नाम से जाने जानी सोयाबीन की फसल किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। बाजार में फसल की लागत से भी कम भाव मिलने से नाराज किसान अब सरकार से सोयाबीन का भाव छह हजार प्रति क्विंटल करने की मांग पर अड़े हुए हैं। इसी मुद्दे को लेकर किसानों ने अपने अपने गांव से मूक आंदोलन की शुरुआत कर दी है। किसानों का कहना है कि जब तक उन्हें सोयाबीन का भाव छह हजार रुपए क्विंटल नहीं मिलता वो अपनी उपज नहीं बेचेंगे। जिले के करीब 50 से अधिक गांवों में किसानों ने एकत्रित होकर अपनी पंचायत के सचिव को ज्ञापन सौंपकर सोयाबीन के दाम छह हजार प्रति क्विंटल किए जाने की मांग सरकार से की है। किसानों का कहना है कि गांव से तहसील या जिला मुख्यालय पर जाने में किसानों की संख्या सीमित होती है। जिसके चलते अब किसानों ने अपनी अपनी ग्राम पंचायत स्तर पर गांव के सभी किसानों के साथ ज्ञापन सौंपकर अपनी मांग को रखा जा रहा है। जब एक ही जिले के हर गांव से किसानों की मांग सरकार तक पहुंचेगी तो निश्चित ही सरकार को किसानों की इस महत्वपूर्ण मांग को पूरा करना होगा। लागत पांच हजार, भाव चार हजार किसान राम इनानिया ने बताया कि किसानों को एक एकड़ में सोयाबीन की लागत 20 से 22 हजार रुपए प्रति एकड़ आ रही है, जबकि उत्पादन मात्र चार से छह क्विंटल निकल पाती है। इस हिसाब से किसानों को सोयाबीन की फसल में लागत भी नहीं निकल पा रही है। उन्होंने बताया कि पूरे देश में विश्व का मात्र तीन प्रतिशत ही सोयाबीन का उत्पादन होता है।सोयाबीन की फसल के दामों को लेकर इंटरनेशनल लेवल पर स्पोर्ट नहीं मिलने से उसके भाव मे कमी आई है। किसान सुनील गोल्या ने बताया कि सरकार की आयत निर्यात नीति के कारण सोयाबीन के भाव कम हुए है।जिसके चलते कई किसानों ने भाव कम मिलने से फसल को मंडी में बेचने की जगह अपने घरों में स्टॉक कर रखा गया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल पंचायत, फिर जिला स्तर यदि इसके बाद भी सरकार नहीं मानी तो राजधानी में बड़ा आंदोलन किया जाएगा।