दुनिया का हर व्यक्ति अदृश्य स्रोत को मानता है, वैज्ञानिक भी इसमें विश्वास करते हैं। लोग इसीलिए साधना करते हैं । इन शक्तियों के माध्यम से हम विकास और विनाश दोनों कर सकते हैं। ये अदृश्य स्रोत दिखाई नहीं देते।किंतु हरेक इंसान की ये भावनाएं रहती है कि जब जो चाहूं , जितना चाहूं , जैसा चाहूं, जहां चाहूं मुझे मिल जाए। मैं मृत्यु को प्राप्त न होऊं ,अजर अमर हो जाऊं। छत्रपति नगर के दलाल बाग में मुनि विनम्र सागर जी महाराज ने मंगलवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि 1000 करोड़ की पिक्चर बनने लगी है किंतु उन्हें देखने पर कोई धर्मात्मा नहीं बनता। पिक्चर देखने पर दुर्जनता ही सिर पर हावी होती है। जो पैसा आप जिनायतनों में लगाते हैं, उनसे एक भी पापी आज तक नहीं हुआ। पापी अंदर जरूर गया है लेकिन अंदर से धर्मात्मा बनकर ही लौटा है। लोग विदेश में सुख ढूंढते हैं, गुरुदेव कहते हैं स्थान बदलने से कभी सुख नहीं मिला, स्थिति बदलने से सुख मिलता है। उन्होंने कहा कि अदृश्य शक्ति (भगवान) की बात करते हैं, तो कुछ लोगों को तकलीफ होती है, किंतु इन अदृश्य शक्तियों के माध्यम से इंसान भगवान बन सकता है। बस इतना ही काफी है… को अपनाएं उन्होंने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी महाराज जी का एक ब्रह्म वाक्य था, बस इतना ही काफी है, यदि ये शब्द आपके जीवन में भी उतर जाए तो आपका जीवन धन्य हो जाए। दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद ने प्रातः गुरुदेव के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के बाद गुरुदेव की आठ द्रव्यों से सभी श्रावक- श्राविकाओं ने पूजन की। वीर बाहुबली ग्रुप ने दान की घोषणा की। इस अवसर पर मनोज बाकलीवाल, मनीष नायक, सतीश डबडेरा, , सतीश जैन, आनंद जैन,कमल अग्रवाल , अमित जैन, शिरीष अजमेरा ,आलोक बंडा , रितेश जैन आदि विशेष रूप से मौजूद थे। मुनि निस्वार्थ सागर जी महाराज भी मंच पर विराजित थे। प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से आचार्य श्री जी की पूजन के पश्चात , 9:00 बजे से मुनिश्री के प्रवचन, दलाल बाग में होते हैं। धर्म सभा का संचालन भरतेश बड़कुल ने किया।