शहर की आबोहवा सुधारने और लोक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए ई-रिक्शा को परमिट, फिटनेस आदि में रियायत दी जा रही है। इस कारण इनकी संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। शहर में 5 साल में इनकी संख्या 8 हजार से ज्यादा हो गई। रोजाना 1 लाख से ज्यादा लोग इनमें सफर कर रहे हैं, लेकिन हमारे सिस्टम की सुस्ती देखिए कि इतने सालों में भी जिला प्रशासन, आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस इनके लिए कोई सख्त नियम-कायदे तय नहीं कर पाया। इसका नतीजा यह हो रहा है कि लोक परिवहन की यह सुविधा परेशानी बनती जा रही है। इनके मनमाने किराए पर कोई अंकुश नहीं है। किस रूट पर चलेंगे, कहां खड़े होंगे, इसका भी कोई कायदा नहीं है। इसी साल जनवरी और अप्रैल में सड़क सुरक्षा समिति ने रूट तय करने और इनकी संचालन गाइड लाइन बनाने का फैसला लिया था। अब तक नियम तय नहीं हो सके हैं।
इसके अलावा इनकी एक और बड़ी परेशानी ओवरलोड की है। इस कारण इनके असंतुलित होकर पलटने के खतरे से यात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में है। इस तरह के कुछ घटनाक्रम सामने भी आ चुके हैं। राजबाडा, जवाहर मार्ग, एमजी रोड, बीआरटीएस मिक्स लेन से लेकर अन्य व्ययस्तम मार्गों पर इनकी भरमार है। 5 साल में देखिए किस तरह से हुई ई-रिक्शा में बढ़ोतरी सिटी बसों के बाद ई-रिक्शा ने दोगुना कर दिया किराया
सख्ती नहीं होने से ई-रिक्शा ने मनमाने रूट बना लिए हैं। एक यात्री को चंदन नगर से हवा बंगले की ओर जाना है। सीधा रूट होने पर 15 रुपए किराया लगता है, लेकिन रिक्शा फूटी कोठी पर उतारकर किराया ले लेता है। इसके बाद हवा बंगला जाने के लिए दूसरा रिक्शा लेना पड़ता है। यानी इसमें फिर से किराया देना है। इस तरह से दोगुना तक किराया ले लेते हैं। वहीं सिटी बसों के किराए में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद ई-रिक्शा भी दोगुना तक किराया वसूलने लगे हैं। बेतरतीब चलने के साथ ये भी खतरे हैं
{इनकी बैटरी भी असुरिक्षत तरीके से चार्ज हो रही है। लेड एसिड बैटरी से ही इसका संचालन हो रहा है।
{ सिटी बसों के रूट पर आगे-पीछे चलते हैं। इससे ट्रैफिक जाम होता है। प्रतिस्पर्धा में ओवरटेक करने के लिए ओवर स्पीड चलते हैं। इससे असंतुलित होकर पलटने का खतरा रहता है। प्रस्तावित किए गए रूट, लेकिन पालन नहीं हो रहा
{एयरपोर्ट से लेकर तेजाजी नगर चौराहा, गंगवाल बस स्टैंड से ग्रीन पार्क कॉलोनी, राऊ गोल चौराहा से देवास नाका, मृगनयनी से देवास नाका, गिटार तिराहा से खजराना, पलासिया चौराहा से कनाड़िया रोड शामिल है।
{अरबिंदो हॉस्पिटल से सीटा डेल मॉल, बापट चौराहा से देवास नाका, एयरपोर्ट से अरबिंदो हॉस्पिटल, मरीमाता चौराहा से सरवटे बस स्टैंड, संजय सेतु से चोइथराम मंडी चौराहा, रेलवे स्टेशन सियागंज की ओर पटेल प्रतिमा से बिचौली हप्सी तय किया गया है।
{संजय सेतु से राज मोहल्ला, बड़ा गणपति से कृष्णपुरा छत्री वन-वे, रेलवे स्टेशन से मूसाखेड़ी चौराहा, मधु मिलन चौराहा से भंवरकुआं चौराहा, महू नाका से कैट रोड, महू नाका से राजेंद्र नगर, नौलखा से देवगुराड़िया, महू नाका से अंतिम चौराहा, पार्क रोड से देवास नाका, परदेशीपुरा से स्कीम नंबर 140, मालवा मिल चौराहा से स्टार चौराहा, चंदन नगर चौराहा से रेलवे स्टेशन प्लेटफॉर्म नंबर 6, चंदन नगर से गोपुर, राजीव गांधी सर्कल आदि रूट शामिल हैं। समाधान रूट, किराए के साथ स्टैंड भी निर्धारित करना चाहिए {ई-रिक्शा संचालन के लिए शहर में सड़क सुरक्षा समिति द्वारा गाइड लाइन बनाई जाए।
{इनके रूट तय करके किराया निर्धारण किया जाए। ऑटो की तरह ई-रिक्शा में मीटर लगाएं।
{खड़े रहने के लिए स्टैंड निर्धारित करें। संख्या भी तय हो, जिससे अवैध संचालन
पर प्रतिबंध लग सके।
{कॉलोनियों को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाले छोटे रूट्स तय करें, जिससे कॉलोनियों की मुख्य मार्ग तक आवाजाही आसान हो सके।
{परिवहन विभाग इनका फिटनेस हर साल करें। ट्रैफिक पुलिस भी इनकी जांच करें। संचालन की गाइड लाइन बना रहे हैं
^ पर्यावरण सुधार के लिए इनका उपयोग तय किया गया है। इसके लिए इन्हें कुछ छूट दी गई है। यह लोक परिवहन का अच्छा साधन हैं। इनको परमिट से छूट दी गई है, इसलिए इनके रूट तय करने में मुश्किल आ रही है। कई बार इनको रूट बनाकर चलने के लिए कहा गयाा। सड़क सुरक्षा समिति में पिछले दिनों मुद्दा आया भी था, तब इनके रूट तय करने और संचालन गाइडलाइन बनाने की बात हुई थी। 18 रूट् तय किए थे। विरोध और मामला कोर्ट में जाने से अमल नहीं हो पाया। अब शहर हित में समिति संचालन संबंधी नियम बनाएगी।
– प्रदीप शर्मा, आरटीओ, इंदौर