समाज सेवा का उठाया बीड़ा:13 लोग से शुरुआत की, आज पांच हजार से ज्यादा सदस्य लोगों की मदद कर रहे

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कर्बला मैदान रोड पर एक घायल तड़प रहा था। उसकी मदद के लिए कई लोगों से गुजािरश की, लेकिन कोई आगे नहीं आया। आखिरकार दो लोगों की सहायता से उसे एमवायएच पहुंचाया। जब ब्लड की जरूरत पड़ी तो परिवार वाले रक्तदान करने के बजाय दूसरों को फोन लगाते रहे। तब पहली बार ब्लड दिया। कहने को तो यह घटना करीब छह साल पुरानी है, लेकिन उसे याद आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस घटना के बाद ठान लिया कि अब बेसहारा, निर्धन व जरूरतमंदों की मदद करूंगा। यह कहना है संस्था ‘रक्तदान एक कोशिश मानव कल्याण’ समिति के अध्यक्ष मनीष शांति पिंपले का। उन्होंने लोगों की मदद के लिए शुरुआत में अपने 12 दोस्तों को जोड़ा। धीरे-धीरे छह साल बाद अब हमारे साथ 5 हजार से ज्यादा लोगों की टीम जुड़ चुकी है, जो लोगों की मदद कर रही है। ये साथी भी कर रहे मदद : मयूर नीम, पुनीत वाधवानी, सोनू मिथोरिया, ममता पिपले, रक्षा गंगराड़े, दीपेश जैन, सविता इंगले, सुनीता जयपाल, अमृत वर्मा और मुकेश राठौड़ व अन्य हैं। विश्वास हुआ तो लोग भी आगे आए : संस्था के लोगों ने बताया कि शुरुआत में मदद करने में काफी समस्याएं आई। अब सोशल मीडिया पर काम दिखने लगा तो कई लोग मदद करने के लिए सामने आ जाते हैं। हम लोग गरीबों और वृद्धों के भोजन की भी व्यवस्था करते हैं। अपने वेतन में से पैसे बचाकर किताबें बांटी: जब कोई भी आर्थिक मदद नहीं करता था तो 13 दोस्तों के ग्रुप ने अपनी सैलेरी से पैसे बचाकर लोगों की मदद करना शुरू की। शुरुआत में बच्चों को किताबें बांटी। कुछ समय बाद संस्था को रजिस्टर्ड कराया। फिर सोशल मीडिया पर लोगों से अपील की। छोटी-छोटी कॉलोनी और बस्तियों में पहुंचे तो पता चला कि बच्चे तो स्कूल जाना चाहते हैं, लेकिन उनके पास डाक्यूमेंट्स नहीं होते हैं। इसलिए संस्था ने उनके डॉक्यूमेंट्स पूरे करवाना, स्कूल बैग, किताबों का इंतजाम करना शुरू कर दिया। अब हर साल 200-250 बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजते हैं। परिजन को भी समझाते हैं। यह संस्था ठंड में कपड़े बांटती है। कई लोगों को नौकरी दिलाई : संस्था ‘रक्तदान एक कोशिश मानव कल्याण’ शहर में नि:शुल्क रक्तदान कर रही है। अध्यक्ष पिंपले खुद 97 बार रक्तदान कर चुके हैं। साथ ही संस्था ने सोशल ग्रुप बनाए और बेरोजगारों को नौकरी दिलवाना शुरू किया। शहर में कई ऐसे व्यापारी और उद्योग हैं, जहां कर्मचारियों की जरूरत होती है। उनके संदेश सोशल मीडिया पर डाल देते हैं, जिससे जरूरतमंद बेरोजगार संपर्क कर नौकरी ज्वॉइन कर लेते हैं।