गणपति महोत्सव की तैयारी बाजार में देखने मिल रही है। इस बीच दताना की राधा सिसोदिया गोबर से गणपति की प्रतिमाएं बनाने का काम कर रही है, जिसमें उनके द्वारा आयुर्वेदिक पौधे के बीज भी डाले गए हैं, ताकि जब मूर्ति का विसर्जन किसी गमले में किया जाए, तो वहां एक पौधा पनप पाए। यह मूर्तियां पूरी तरह से ईको फ्रैंडली और जैविक है, जिसमें गाय के गोबर का ही उपयोग किया जाता है।
राधा पिछले दो साल से इन मूर्तियों को बनाने का काम कर रही हैं व इसके लिए गर्मी में ही मूर्तियां बनाकर तैयार करती हैं। मूर्तियों के लिए बड़ी मात्रा में ऑर्डर पहले से आ जाते हैं, जिन्हें वे तैयार कर बेच देती हैं व कुछ मूर्तियां खुद की दुकान लगाकर बेचती हैं। राधा गांव की महिलाओं को मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण दे रही हैं, जिसके बाद कई महिलाएं राधा के साथ मिलकर काम कर रही है। इससे महिलाओं को रोजगार मिलता व साथ ही गोबर बेचने से गाय पालक की भी कमाई हो रही है। रंग भी ऐसे जो पानी में आसानी से घुल जाए राधा ने बताया कि मैंने दो साल पहले ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र बैंक ऑफ इंडिया उज्जैन से मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण लिया था, तब मैं अकेली गांव में मूर्ति बनाती थी। आज कई दीदियां मेरे साथ काम करते हुए रुपए कमा रही हैं। जरूरत के अनुसार दीदियां जुड़ती है, बाकी 4 से 5 महिलाएं तो शामिल रहती ही हैं। इस बार के ऑर्डर भेज दिए हैं और अभी 500 मूर्तियां बाकी हैं, जिन्हें एक-दो दिन में विक्रय करना शुरू किया जाएगा। अब बस ईको फ्रेंडली कलर करना था। मैं पानी में आसानी से घुलने वाले रंगों का ही उपयोग करती हूं। गोबर के लिए गांव में ही किसान से बात की हुई है, वे जरूरत के अनुसार भेज देते हैं। साथ ही इन मूर्तियों में अभी मैंने तुलसी, नीम और पीपल के बीज भी डाले हैं। हम हाथ से ही मूर्ति को आकार देते हैं, जिसमें समय लगता है और कई बच्चियां और महिलाएं भी आती हैं।