जिले में परंपरानुसार धूमधाम से मनाया गया पोला पाटन पर्व:नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में हुई बैलदौड़, पशुधन बैलों का किया गया पूजन

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बालाघाट में हिन्दु पर्वों में पोला पाटन और मारबत पर्व का विशेष महत्व है। 2 सितंबर सोमवार को शाम के समय में जिले भर में पोला पाटन का पर्व पारंपरिक तरीके से धूमधाम के साथ मनाया गया। जबकि 3 सितंबर को मारबत का पर्व मनाया जाएगा। नगर मुख्यालय में बूढ़ी, जयहिंद टॉकीज मैदान, भटेरा चौकी, गायखुरी सहित समीपस्थ पंचायत कोसमी में पोला पाटन पर्व पर किसान, अपने सजे-धजे बैलों को लेकर पहुंचे थे। जहां परंपरानुसार उनकी पूजा अर्चना की गई। जनप्रतिनिधियों ने कृषक भाईयों और बैलों का तिलकवंदन किया गायखुरी और कोसमी में यह पर्व उत्साह के साथ मनाया गया। यहां ग्राम के और जनप्रतिनिधियों ने सभी कृषक भाईयों और बैलों का तिलकवंदन किया। यह पर्व कृषकों और साथी बैलों से जुड़ा होने के कारण कृषक परिवारों में उत्साहपूर्वक और परंपरानुसार मनाया जाता है। बैल की पूजा अर्चना कर पकवान बनाए जाते हैं इस दिन बैल की पूजा अर्चना कर पकवान बनाए जाते हैं। मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलो में पोला पर्व पर घरों में बैल जोड़ी का पूजन किया गया और उन्हें घर में बने पकवान खिलाए गए। पशु के दिए गए योगदान के प्रति कृतज्ञता के लिए है पोला पाटन इस पर्व को लेकर कहा जाता है कि कृषि में पशु के दिए गए योगदान के प्रति कृषक और उसका परिवार उसके प्रति कृतज्ञता के रूप में मनाता है। चूंकि खेती में सबसे ज्यादा किसान बैलों का उपयोग करता है। इसलिए किसान पशुओं की पूजा आराधना एवं उनको धन्यवाद देने के लिए इस त्यौहार को मनाते है। मारबत को शहर में घुमाकर दहन किया जाएगा वहीं आज मारबत का पर्व मनाया जाएगा। जिसमें बुराई के प्रतीक के रूप में मारबत का निर्माण कर उसे शहर भर में घुमाकर उसका दहन किया जाएगा। इसमें कई घरो में मिट्टी की मारबत बनाकर बुराई की प्रतीक मारबत को गांव की सीमा से बाहर ले जाकर उसका विसर्जन किया जाता है। जानकार बताते हैं कि मारबत निर्माण की परंपरा तो वर्षों पुरानी है। जिसमें समय के साथ इसका स्वरूप बदला है लेकिन आज भी यह परंपरा निभाई जा रही है।