कीट नियंत्रण की सलाह:सफेद मक्खी से फैल रहा पीला मोजेक, पौधे को जड़ से उखाड़कर फेंकने से ही बचाव

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खरीफ सीजन की मुख्य फसल सोयाबीन में पीला मोजेक रोग देखा जा रहा है। यह एक वायरस जनित रोग है, जो कि सफेद मक्खी के कारण फैल रहा है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस रोग से ग्रस्त पौधों की पत्तियों पर सफेद मक्खी के बैठने के बाद अन्य पौधों पर बैठने से रोग पूरे खेत की फसल में फैल जाता है। यदि वर्षा तीन- चार दिन के अंतराल पर होती है तो सफेद मक्खी के द्वारा फसलों में संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। जिले में ऐसा ही मौसम बना हुआ है। पीला मोजेक रोग से बचाव के लिए किसानों को सलाह दी गई है कि रोगग्रस्त पौधों को जड़ से उखाड़कर खेत से दूर जला देना चाहिए। सफेद मक्खी और माहू के प्रबंधन के लिए 12 यलो स्टिकी ट्रैप प्रति एकड़ में लगाएं। यलो स्टिकी ट्रैप की ओर आकर्षित होकर कीट इस पर चिपक जाते हैं। कृषि उपसंचालक बीके मालवीय ने बताया कि सोयाबीन इस समय फूल अवस्था में है और विभिन्न प्रकार के कीटों का प्रकोप फसल पर देखने को मिल रहा है। इन कीटों में तने की मक्खी व चक्रभृंग (तना छेदक कीट), अर्ध कुन्डलक इल्ली, कम्बल कीट, तम्बाखू की इल्ली, अलसी की इल्ली, फली छेदक (पत्ती भक्षक कीट) एवं सफेद मक्खी, जेसिडस, माइट्स और थ्रिप्स (रस चूसक) प्रमुख हैं। सोयाबीन में कीट प्रबंधन के लिए किसान भाई एक हैक्टेयर में 20-30 फेरोमेन ट्रैप्स लगाएं। प्राकृतिक नियंत्रण के लिए एक हैक्टेयर में चिड़ियां के बैठने के लिए फसल से दो फीट ऊंचाई पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर 15-20 बर्ड पर्चर लगाएं। प्रभावित पौधों से पत्तियों को एकत्र कर नष्ट कर दें। जैविक नियंत्रण के लिए बैवेरिया बेसियाना 1 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें। किसान विभिन्न कीटनाशकों के प्रयोग से पहले कुछ सावधानियां जरूर रखें। अनुमोदित कीटनाशक ही खरीदें। अवसान की तिथि और बैच नंबर देखें। दुकानदार से पक्का बिल अवश्य लें। कीटनाशक और पानी की अनुशंसित मात्रा का ही प्रयोग करें। स्प्रे तभी करें जब 3-4 घंटे वर्षा की संभावना न हो। छिड़काव के बाद खाली डिब्बों को नष्ट कर दें।