बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में अब ओपीडी पर्चा बनवाने से ज्यादा लंबी कतार आभा आईडी बनवाने के लिए लग रही है। वजह ग्रामीण अंचलों के मरीजों के अलावा शहरी क्षेत्र के पढ़े-लिखे लोग भी यहां बनाई गई आभा हेल्प डेस्क पर आश्रित हो गए हैं। आलम यह है कि डेस्क के काउंटर में धड़ तक घुसकर लोग यहां बैठे कर्मचारियों के हाथ में अपना मोबाइल पकड़वाने के लिए जद्दोजहद में जुटे हैं। यह स्थित ठीक वैसी ही है जैसी ओपीडी पर्चा बनवाने के लिए बनती थी। डेस्क पर कर्मचारियों के साथ ही भीड़ भी बढ़ी बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने ओपीडी काउंटर पर पर्चा बनवाने के लिए लगने वाली कतार खत्म करने के लिए अप्रैल माह में आभा आईडी से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू की थी। आभा आईडी बनाने लिए प्रबंधन ने हेल्प डेस्क बनाकर 1 कर्मचारी की नियुक्ति की। लेकिन काउंटर से खत्म हुई कतार हेल्प डेस्क पर लगना शुरू हो गई। डेस्क पर भीड़ बढ़ती देख प्रबंधन ने यहां कर्मचारियों की संख्या 6 तक बढ़ा दी है। लेकिन डेस्क पर कतार छोटी नहीं हो रही है। ऑनलाइन हो जाती है मरीज की हेल्थ प्रोफाइल: आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (एबीएचए आईडी) एक डिजिटल आईडी है जो 14 अंकों के यूनिक कोड से मिलकर बनती है। इस आईडी से देश में स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले बड़े अस्पतालों में मरीजों की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ऑनलाइन देखी जा सकती है। 65 फीसदी ओपीडी रजिस्ट्रेशन आभा आईडी से: मेडिकल कॉलेज में इन दिनों रोजाना ओपीडी 1100 से 1200 के बीच चल रही है। इनमें से 750 से 800 मरीजों का पर्चा आभा आईडी के जरिए बनाया जा रहा है। यह संख्या करीब 65 प्रतिशत है। 20 स्थानों पर लगे पोस्टर पढ़ने कोई तैयार नहीं: कॉलेज के ओपीडी रजिस्ट्रेशन और बाहर के गलियारे में प्रबंधन ने 20 स्थानों पर आभा आईडी बनाने संबंधी पोस्टर और क्यूआर कोड लगाए हैं। लेकिन इन पोस्टरों को ग्रामीण और शहरी लोग पढ़ ही नहीं रहे हैं।