बालाघाट में जनजातीय क्षेत्रों में शासन के बनाए गए छात्रावासों में इन दिनों सुबह नाश्ते और रात के भोजन की नई व्यवस्था की गई है। इसमें हॉस्टल इंचार्ज मौजूदगी जरूरी है। या फिर इंचार्ज को बच्चों के साथ बैठकर भोजन अनिवार्य है। ताकि बच्चों को घर जैसा भोजन मिल सके। कलेक्टर मृणाल मीणा ने यह व्यवस्था इसलिए बनाई थी कि जनजातीय क्षेत्रों के छात्रवासों में रहने वाले छात्र-छात्राओं को भोजन समय पर मेन्यू की तरह मिल सके। इसकी शुरूआत जिले के छात्रावासों से की गई है। सहायक आयुक्त चतुर्वेदी ने इस व्यवस्था को छात्रावासों में अनिवार्य कर दिया है। इसके बाद भोजन के समय हॉस्टल वॉर्डन मौजूद होकर विद्यार्थियों को भोजन कर रहे हैं। इसकी मॉनिटरिंग एक वॉट्सऐप ग्रुप सहित अधिकारी कर रहे हैं। बालाघाट में पदस्थापना के बाद कलेक्टर मृणाल मीणा ने अधिकारियों के साथ की पहली बैठक में ही संबंधित विभागों को निर्देश दिया था कि अपने विभागीय दायित्वों को सूझबूझ और समझदारी से निभाए। इसके बाद जनजाति कार्य विभाग ने नई व्यवस्था के तहत माता-पिता, भाई- बहनों से दूर छात्रावास में रहकर पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भोजन घर जैसा मिले यह सुनिश्चित किया है। सहायक आयुक्त पीएन चतुर्वेदी ने बताया कि जिले के 120 छात्रावास अनुसूचित जनजाति, 24 अनुसूचित जाति, 6 विशिष्ठ संस्थाएं और 4 छात्रावास विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा के हैं। इस तरह जिले में 144 छात्रावास अनुसूचित जाति और जनजाति के हैं। यहां नवाचार करते हुए प्रयास शुरू किया गया है कि भोजन समय पर, मेन्यू अनुरूप मिले और भोजन के समय वार्डन भी मौजूद रहें। इन छात्रावास में 4 हजार 276 विद्यार्थी अनुसूचित जनजाति छात्रावास, 1 हजार 834 आश्रम, 1 हजार 153 अनुसूचित जाति और 2 हजार 211 विद्यार्थी विशिष्ट आवासीय परिसर में रह रहे हैं।