इंदौर की डामर सड़कों पर गड्ढों के लिए नगर निगम हर साल पांच ही ठेकेदारों को कॉन्ट्रेक्ट देता है। वहीं गड्ढों को भरने के लिए इन ठेकेदारों को सालभर की मियाद दी जाती है। एक्सपर्ट के मुताबिक एक साल पैचवर्क भी किया जाता है तो उसकी गारंटी दो साल की है। इसके बावजूद इंदौर में एमआर-10, विजयनगर चौराहा, देवास नाका, रिंग रोड सहित 100 से ज्यादा स्थानों पर हर साल गड्ढे होते हैं। मॉनिटरिंग का जिम्मा सब-इंजीनियर का होता है लेकिन कोई भी मौके पर नहीं जाते। यही वजह है कि बारिश में बार-बार मुरम डालकर काम चलाया जाता है और बाद में दिखावे का काम कर दिया जाता है। निगम के पूर्व अफसरों ने भास्कर को बताया कि पैचवर्क के नाम पर सिर्फ डामर बिछाकर रोलर चलाया जा रहा है, जबकि यह कार्य सब-इंजीनियर की मौजूदगी में होना चाहिए। कॉन्ट्रैक्टर भी मौके पर नहीं आते, जिसके कारण मटेरियल की गुणवत्ता भी सही नहीं आती। एक्सपर्ट ने कहा कि सब इंजीनियर को मौके पर जाकर खराब हिस्से को चौकोर आकार में कटवार उसमें फिलिंग करवानी चाहिए। आखिर में डामर के मिक्चर और रोलर का काम होता है। निगम ने बार-बार खराब होने वाली सड़कों की सूची तक नहीं बनाई एमआर-10 रोड का मेंटेनेंस भी हर साल किया जाता है। पूरी रोड पर 100 से ज्यादा गड्ढे हो चुके हैं। हर साल यहां मेंटेनेंस किया जाता है। निगम ने इस बार सड़कों के मेंटेनेंस के टेंडर तो कर दिए गए, लेकिन खराब होने वाली सड़कों की सूची ही नहीं बनाई गई। पूर्व सिटी इंजीनियर ने बताई भ्रष्टाचार की प्रमुख कड़ी (जैसा की निगम के एक पूर्व सिटी इंजीनियर ने भास्कर को बताया, जिसकी रिकॉर्डिंग भास्कर के पास सुरक्षित है )