जल संसाधन विभाग में टाइमकीपर श्रीपतिलाल जाटव की याचिका पर शनिवार को चीफ इंजीनियर एसके वर्मा (यमुना कछार) उपस्थित हुए। कोर्ट के आदेश के बाद भी कम वेतनमान देने के मामले में जब जस्टिस विशाल मिश्रा ने चीफ इंजीनियर से स्पष्टीकरण चाहा तो वे मौन रहे? इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि आपकी शक्ल देखने के लिए कोर्ट में नहीं बुलाया है। ये बताएं कि जवाब पेश करने में ऐसा अनौपचारिक रवैया क्यों अपनाया गया? चीफ इंजीनियर ने माफी मांगते हुए स्पष्ट किया कि कार्यपालन यंत्री डीएस राकर ने जवाब तैयार करने में लापरवाही बरती है। भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगी। उन्होंने कोर्ट से अतिरिक्त जवाब पेश करने की अनुमति चाही। कोर्ट ने कार्यपालन यंत्री राकर को जेब से 5 हजार रुपए भरने की शर्त पर अनुमति प्रदान की। दरअसल, 1986 में श्रीपतिलाल जाटव की जल संसाधन विभाग में टाइमकीपर के पद पर भर्ती हुई। कुछ समय पूर्व कोर्ट ने एएल ठाकुर के मामले में आदेश दिया कि टाइमकीपर को भी अमीन की तरह ही पे स्केल का लाभ मिलना चाहिए। इस आदेश के खिलाफ शासन ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी भी दायर की, लेकिन पहली ही सुनवाई में उसे खारिज कर दिया गया। हालांकि, विभाग ने कोर्ट के आदेश के बाद भी कर्मचारी को लाभ नहीं दिया और जब कोर्ट में याचिका पेश हुई तो कार्यपालन यंत्री ने सतही जवाब पेश किया। इस पर कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर उन्हें जमकर फटकार लगाई थी और चीफ इंजीनियर को तलब किया था। शनिवार को हुई सुनवाई में चीफ इंजीनियर मौजूद रहे। कोर्ट ने उन्हें चेताया कि भविष्य में जवाब पेश करने में सावधानी बरतें।