ब्लॉक स्तर पर कांग्रेस 4 सितंबर को धरना प्रदर्शन और आंदोलन करेगी। कांग्रेस जिलाध्यक्ष नानेश चौधरी ने मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी से मिले पत्र का हवाला देते हुए बताया कि कांग्रेस इस बार किसानों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाएगी। खास तौर पर समर्थन मूल्य पर गेहूं और धान की खरीदी न होने को लेकर किसानों में इस मुद्दे को लेकर नाराजगी है और कांग्रेस सरकार पर दबाव बना रही है कि वह अपने वादे को पूरा करे। अन्न दाता किसान इस समय काफी परेशानियों से जूझ रहा है। भारी बारिश से उनकी सोयाबीन एवं धान की फसलों को नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 50 प्रतिशत किसानों की सोयाबीन फसल में फल ही नहीं लगा है। किसानों की लागत मूल्य दोगुना हो गई है। वर्ष 2011 में भी सोयाबीन की फसल के दाम 4300 रुपए प्रति क्विंटल थे। आश्चर्य की बात है कि आज भी वर्ष 2024 में पुरानी कीमत पर ही उनकी उपज खरीदी जा रही है। केंद्र एवं प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और किसान एमएसपी की मांग लगातार कई वर्षों से कर रहे है और आज भी उनकी फसलों को एमएसपी के समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं की जा रही है। धरना प्रदर्शन में खराब सड़कों और बारिश से बिगड़ी स्थिति जैसे मुद्दे भी शामिल होंगे। विधानसभा और लोकसभा चुनावों में निराशाजनक परिणाम के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ता हताश थे। लेकिन अगस्त माह में हुए आंदोलन ने उन्हें सक्रिय कर दिया है। अब कांग्रेस पार्टी इस ऊर्जा को बनाए रखना चाहती है। उसी के चलते कांग्रेस चार सितंबर को ब्लॉक स्तर पर धरना आंदोलन कर सरकार की घेराबंदी जारी रहेगी।