जिले के ग्राम गुदरावन में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन जारी है। कथा के छठे दिवस के अवसर पर रविवार को रुक्मणी-कृष्ण विवाह की प्रेरक कथा का वाचन करते हुए पंडित मनोज नागर संडावता वाले ने कहा की भागवत रूपी नाव में चढ़कर भवसागर से उतरने का हम प्रयास करें। पांच काम हमें स्वयं करना पड़ते हैं, चाहे वह कितना ही बड़ा व्यक्ति हो। दान, भोजन, मृत्यु, विवाह और भगवान का भजन स्वयं करना पड़ता है। परीक्षित राजमहल छोड़कर भगवान का भजन करने बैठे और मोक्ष को प्राप्त किया। किसी की निंदा न करना प्रशंसा करना यह भी भजन है, जिन कानों ने भगवान की कथा नहीं सुनी वह सांप के समान है। श्रद्धालुओं ने धार्मिक गीत पर खूब नृत्य किया और सभी भक्तों ने रुक्मणी कृष्ण को विवाह में सिचावनी की। कथाकार ने कहा कि जिसकी बुद्धि क्रूर नहीं वह अक्रूर, जिसमें छल कपट नहीं वह अक्रूर है। कथा में रविवार को बड़ी संख्या में क्षेत्र के महिला-पुरुष उपस्थित रहे। रविवार की प्रसादी नलखेड़ा नगर के मित्तल परिवार की ओर से वितरित की गई।