पुणे के सुप्रसिद्ध राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता दिग्दर्शक एवं लोकप्रिय संगीतकार डॉ. सलिल कुलकर्णी अपने समूह के साथ रविवार की शाम को सानंद के मंच पर रूबरू थे। डॉ. सलिल कुलकर्णी ने कवितेचं गाण होतांना की अविस्मरणीय प्रस्तुति दी। उन्होंने विंदा करंदीकर, संत तुकाराम महाराज, कुसुमाग्रज जैसे मराठी कवियों की वो रचनाएं प्रस्तुत की, जिनको उन्होंने संगीत बंद किया है। सलिल कुलकर्णी ने अपनी 27 वर्षीय यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के अनेक महान कवियों की रचनाओं को संगीतबद्ध किया, उनमें से कुछ रचनाएं उन्होंने सानंद के मंच पर रविवार शाम को प्रस्तुत की। यह अनूठा कार्यक्रम था जिसे सुनकर श्रोता पूरे समय मंत्र मुग्ध होते रहे। दरअसल, ‘कवितेचं गाणं होतांना” कार्यक्रम एक संगीतकार के मन का कविता का प्रवास एवं गीतों का सुंदर प्रस्तुतिकरण है। कार्यक्रम में डॉ. सलिल कुलकर्णी ने संत तुकराम, एकनाथ महाराज, रामदास स्वामी, स्वातंत्र्यवीर सावरकर से लेकर भा. रा. तांबे, बा. भ. बोरकर, विंदा करंदीकर, मंगेश पाडगांवकर, सुरेश भट, शांता शेळके, सुधीर मोघे एवं वर्तमान के संदीप खरे, समीर सामंत तक अनेक शब्द रचनाओं को लयबद्ध कर बहुत हो सुंदर पद्धति से गीतों को श्रृंखला में पिरोया है। विगत 27 वर्षों में विश्व के प्रत्येक मराठी परिवार में, मराठी मन में अपनी विशेष पहचान बनाने वाले डॉ. सलिल कुलकर्णी बालगीत, अभंग, चित्रपट गीत अभिजात कविताओं से गीतों तक विविध प्रकार को रचना रंगमंच, टीवी. चित्रपट एवं सोशल मीडिया पर प्रस्तुत कर रहे हैं। संगीतकार के रूप में 700 से अधिक गीत, 40 अल्बम्स एवं 30 चित्रपट गीत प्रस्तुत कर अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार आपने प्राप्त किए हैं। भारतरत्न लतादीदी मंगेशकर ने उनके द्वारा संगीतबद्ध की रचना को स्वर देना अपने आप में एक सम्मान है। रविवार शाम सलील कुलकर्णी ने सानंद के मंच को भी अलग ही ऊंचाइयां प्रदान की। उनके साथ ही कलाकारों ने भी बेहतरीन प्रस्तुति दी। इनमें खास तौर पर सानंद न्यास के अध्यक्ष जयंत भिसे और मानद सचिव संजीव वावीकर ने बताया कि प्रारंभ में मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति संजीव कालगावकर ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। आभार अध्यक्ष जयंत भिसे ने माना। प्रस्तुति- अभंग संत तुकाराम आता पहा तैसी काळी धाव घाली आई, धाव घाली माझे आई आता पहा तशी काही…माऊली आणि आई दोघांचा उल्लेख भीमरूपी महारुद्र श्री रामदास कृत मधल्या ओळी समीर सामंत….काली रात की बागानो में गोल गोल सा लिपटा चांद कवि समीर सामंत एका माकडाने काढलय दुकान बालगीत। गीतकार- विंदा करंदीकर अग्गोबाई ढग्गोबाई गीतकार संदीप खरे करून करून काळजी माझी करून करून लाड दम लात तुम्ही आई-बाबा झोपा आता गाढ गीतकार संदीप खरे एकटी एकटी घाबरलीस ना वाटलंच होतं आई म्हणूनच तर तुला सोडून तुला लांब गेलो नाही गीतकार संदीप खरे सह – कलाकार- शुभंकर कुलकर्णी, सन्मिता धापटे-शिंदे, आसावरी देशपांडे, आदित्य आठल्ये, डॉ. राजेंद्र दूरकर, राधिका अंतुरकर को सराहा गया।