इंदौर में स्कूल बस हादसे में घायल एक व्यक्ति को परिजन दो निजी अस्पताल ले गए। दोनों जगह उसके एचआईवी पॉजिटिव होने का सुनते ही बुरा व्यवहार कर भगा दिया गया। थक हारकर घायल एमवाय अस्पताल पहुंचा तो वहां भी उसे हाथ तक नहीं लगाया। परिजन ने वीडियो बनाए तो उनके मोबाइल छीन लिए और धक्के मारकर अस्पताल के बाहर कर दिया। गांधी नगर क्षेत्र की कॉलोनी में रहने वाले 48 वर्षीय शख्स को शुक्रवार दोपहर करीब एक बजे एक स्कूल की बस (एमपी 09 डीक्यू 0171) के चालक ने कॉलोनी के मोड़ पर टक्कर मार दी। ड्राइवर साइड का पहिया व्यक्ति के पैर पर चढ़ा और उसका पंजा बुरी तरह डैमेज हो गया। गंभीर हालत में उसे क्षेत्र के अस्पताल ले गए। जैसे ही उसके एचआईवी पॉजिटिव होने की जानकारी दी तो स्टाफ ने बिना इलाज के बाहर कर दिया। ड्रेसिंग कर दी, भर्ती नहीं किया घायल के भतीजे ने बताया कि फूफा को इसके बाद शहर के एक अन्य अस्पताल ले गए। वहां चार घंटे उपचार के लिए इंतजार करते रहे। खून रोकने के लिए नर्सिंग स्टाफ ने सामान्य ड्रेसिंग कर दी। एचआईवी होने की जानकारी देने पर भर्ती करने से मना कर दिया। शाम को उन्हें एमवाय ले गए। डॉक्टर को घायल के एचआईवी पॉजिटिव होने की जानकारी दी। उन्होंने आकस्मिक वार्ड में फूफा को बैठा लिया। कुछ देर बाद वार्ड में से कुछ लोग आए और गाली गलौज करने लगे। हमने उनके वीडियो बनाए तो हमारे साथ मारपीट की। गार्डों की मदद से हमें धक्के देकर बाहर कर दिया। पुलिस ने माफीनामा लिखवाया भतीजे का आरोप है कि दो पुलिस जवान मौके पर आए। उन्होंने डॉक्टर्स व स्टाफ के साथ मिलकर हम पर दबाव बनाकर माफीनामा लिखवाया। मेरे मोबाइल से वीडियो डिलीट कर दिए। मोबाइल भी फॉर्मेट कर दिया। परेशान होकर हम फूफा को ले जाने को मजबूर हुए। घटनाक्रम की जांच करवा रहे हैं एचआईवी मरीज के साथ इलाज में लापरवाही हुई है तो हम एक्शन लेंगे। ऐसे मरीज का डबल ग्लव्स पहन इलाज करना होता है। ऐसे में थोड़ा वक्त लगता। है। मैं मैं पूरे घटनाक्रम की जांच करवा रहा हूं। अशोक यादव, अधीक्षक एमवायएच