भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि इस बार 2 सितंबर को सोमवार के दिन मघा नक्षत्र, शिव योग की उपस्थिति में आ रही है। यह तिथि माता लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए भी मानी जाती है। इस बार सोमवती अमावस्या जिसे पिठोरी अमावस्या या कुशोत्पाटिनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। अमावस्या बृहस्पति के केंद्र त्रिकोण योग में होने से धर्म अध्यात्म एवं तपस्या के फल को प्रदान करने वाली अमावस्या है। इस दिन धर्म कार्य पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, देवी पूजन विधि विधान से करनी चाहिए। पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि यह अमावस्या कुशोत्पाटिनी अमावस्या है कुश का उत्पाटन करना या कुश को उखाडऩा एवं कुश का गुच्छा बनाकर यथा मुहूर्त में अपने घर पर लाकर के प्रतिष्ठित करना इस दिन श्रेष्ठ रहेगा। यह अमावस्या पूर्ण कालिक है इस अमावस्या का पूर्णकालिक लाभ प्राप्त होता है किंतु ध्यान रहे की सभी वैदिक विधि विद्वान के संरक्षण में हो जिससे कुश को घर पर लाना है तो बाकायदा मंत्र के द्वारा उसका आवाहन होता है। उसके बाद कुश को भूमि से अलग किया जाता है। इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए कुश को लाकर के विधिवत पूजन करके लाल वस्त्र में बांधकर अपने तिजोरी में रखना चाहिए। ऐसा करने से बरकत बनी रहती है आय की स्थिति में रास्ते अनुकूल हो जाते हैं। इस खास दिन करें पितरों के निमित्त पिंडदान अमावस्या के खास दिन तीर्थ स्नान करके पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान पूजन करें, वैदिक ब्राह्मण को सीधा दान करें, गायों को हरी घास खिलाएं, भिक्षुकों को भोजन दें और संभव हो सके तो घर पर ब्राह्मण, कन्या, सुहासिनी, बटुक को भोजन कराएं और रात्रि में माता लक्ष्मी की साधना आराधना करें। यह करने से वंश वृद्धि के साथ-साथ आर्थिक प्रगति का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।