विदिशा जिले की पठारी तहसील के छोटे से गांव के एक छोटे से किसान परिवार में तीसरे बेटे का भी एमबीबीएस में एडमिशन हो गया है, इसके पहले दो बेटों का एमबीबीएस में चयन होकर डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई चल रही है। तीनों ने प्रतिदिन 20 किलोमीटर की दूरी तय कर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पठारी से कक्षा 12वीं तक पढ़ाई की। बड़े बेटे ने कक्षा 12वीं में प्रदेश टॉप किया था। भीकम ने किया था एमपी टॉप, एम्स नागपुर से कर रहा एमडी पठारी से लगभग 10 किलोमीटर दूर ग्राम कांकलखेड़ी में 8 बीघा भूमि के किसान हरभजन सिंह कुर्मी के तीन बेटे हैं और तीनों बेटे अब एमबीबीएस कर डॉक्टर बनेंगे और माता-पिता सहित एक छोटे से गांव का नाम रोशन करेंगे। वर्ष 2016 में भीकम कुर्मी कक्षा 12वीं में बायोलॉजी सब्जेक्ट में प्रदेश टॉप किया और वर्ष 2017 में नीट की परीक्षा उत्तीर्ण कर गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में एडमिशन लिया। एमबीबीएस की पढ़ाई में गोल्ड मेडलिस्ट होकर नागपुर के एम्स से एमडी के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं। अभिषेक कुर्मी एमबीबीएस की थर्ड ईयर में अध्यनरत दूसरे बेटे अभिषेक कुर्मी ने वर्ष 2021 में नीट की परीक्षा उत्तीर्ण कर चिरायु मेडिकल कॉलेज भोपाल में एडमिशन लिया और एमबीबीएस के तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रहा हैं। तीसरे बेटे नीरज को मिला नीमच का मेडिकल कॉलेज अभी 2024 की एमबीबीएस की काउंसलिंग चल रही है और इस काउंसलिंग में तीसरे बेटे नीरज कुर्मी ने नीमच के शासकीय मेडिकल कॉलेज में एडमिशन प्राप्त कर लिया है। नीरज कुर्मी के एडमिशन से गांव में ही नहीं नीरज को पढ़ाने वाले शिक्षकों, मित्रों, परिजनों में भी काफी हर्ष व्याप्त है। छोटे से गांव के एक परिवार के तीन बेटे जिन्होंने बिना किसी संसाधनों के अपनी मेहनत से डॉक्टर बनने का सपना पूरा किया और समाज में एक बहुत बड़ा उदाहरण पेश किया है। तीनों समाज व पढ़ने वालों बच्चों के लिए उदाहरण शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पठारी के तत्कालीन शिक्षक बलराम सिंह यादव ने बताया कि तीनों बेटों ने पठारी क्षेत्र का नाम रोशन किया है और हमें तीनों पर गर्व है। बच्चों की मेहनत और लगन से विपरीत परिस्थितियों में भी पढ़ाई कर सफलता प्राप्त की जा सकती है इसका शानदार उदाहरण पेश किया है । बेटों की मेहनत का नतीजा है पिता हरभजन सिंह कुर्मी ने बताया कि तीनों बेटों की मेहनत का नतीजा है जो पढ़ लिख कर डॉक्टर बनेंगे। मेरी 8 बीघा जमीन है जो बच्चों की पढ़ाई के लिए बेचने के लिए तैयार था, पहले कुछ कर्ज लिया पर हनोता बांध बनने के कारण मेरी जमीन डूब क्षेत्र में चली गई और मुआवजा मिल गया जिस कारण से परेशानी कुछ कम हो गई। मेरे बेटे अच्छे डॉक्टर बनकर गरीबों की सेवा करें यही हमारे लिए गर्व की बात है।