भोपाल में जिन दुकान या ऑफिस की छतों को नगर निगम किराए पर देगा, उनके रूल्स तय कर लिए गए हैं। ये कोचिंग, ऑफिस या कैफे के लिए ही रहेंगी। हर 11 महीने में रिन्युवल करना पड़ेगा। वहीं, सभी प्रॉपर्टी की मैनिट (मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) से जांच कराई जाएगी। इसके बाद ही ये किराए पर दी जा सकेंगी। एमआईसी मेंबर जगदीश यादव ने बताया कि भोपाल में निगम के 19 जोन और 85 वार्ड ऑफिस है। दुकानें भी हैं। ऐसी करीब 400 प्रॉपर्टी है। इन्हें लिस्टेट कर लिया गया है। इनकी छतों को किराए पर देने का प्रस्ताव परिषद की मीटिंग में लाए हैं। इसकी सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। अगली मीटिंग में पूरा खाका रखा जाएगा। जानकारी के अनुसार- निगम की ज्यादातर संपत्ति ऐसी लोकेशन पर है, जहां प्रतिमाह किराया 20 से 25 हजार रुपए या इससे अधिक भी मिल सकता है। ऐसे में निगम की माली हालत सुधरेगी। ये रहेंगे रूल्स परिषद की मीटिंग में जमकर हुआ था हंगामा
शुक्रवार को निगम की मीटिंग हुई थी। इसमें एमआईसी मेंबर यादव ने निगम की संपत्ति की छतें किराए पर देने का प्रस्ताव रखा था। इसका समर्थन पार्षद बृजला सचाण के किया। दूसरी ओर, कांग्रेस पार्षद मोहम्मद अजीज ने आपत्ति ली। पार्षद देवांशु कंसाना में भी प्रस्ताव का विरोध किया था। एमआईसी मेंबर यादव, रविंद्र यति, मनोज राठौर, राजेश हिंगोरानी, पार्षद देवेंद्र भार्गव, पप्पू विलास आदि बीजेपी पार्षदों ने इस प्रस्ताव को अच्छा बताया था।
दूसरी ओर, नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी ने कहा कि नियमों के अनुसार ही बिल्डिंग की छत किराए पर दी जाए, क्योंकि इसमें कई पेंच है। इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद अगली मीटिंग में नियम रखे जाएंगे।