जिले के गुदरावन में जारी श्रीमद् भागवत सप्ताह के पांचवें दिन शनिवार को गोवर्धन पर्वत की पूजा कर छप्पन भोग लगाया गया और परिक्रमा की गई। कथाकार पंडित मनोज नागर ने कहा कि आनंद वहां आता है, जहां नंद होता है, जो दूसरों को हंसाए वह नंद और जो रुलावे वह कंस। गोवर्धन पर्वत को भगवान कृष्ण ने ग्वालों की सहायता से 7 दिन तक अपनी उंगली पर उठाकर इंद्र के अहंकार को ध्वस्त किया और सबको एकता के सूत्र में बांधने का कार्य किया। सूर्य के दो पुत्र एक शनि और दूसरे यमराज और दो पुत्रियां एक जमुना और दूसरी पुष्प लता का विवाह पवन पुत्र हनुमान जी के साथ हुआ। हनुमान जी के एक पुत्र भी थे जिनका नाम मकरध्वज था जो मकरनी के गर्भ से पैदा हुए थे। भगवान ने पहाड़, वृक्ष की पूजा कर यह संदेश दिया कि हमें उनकी सुरक्षा करना चाहिए तभी से यह गोवर्धन की परिक्रमा प्रारंभ हुई। सभी भक्तों ने भगवान को 56 भोग लगाकर आनंदपूर्वक परिक्रमा की आरती के पश्चात प्रसादी का वितरण किया गया।