आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में यह ध्यान रखना चाहिए कि यह आर्टिफिशियल ही रहेगा, रियलिटी नहीं हो सकता है । अपना टाइम पास करने के लिए हमारे द्वारा सिस्टम पर बैठकर जो काम किया जाता है उसे ही बहुत सारा डाटा तैयार हो जाता है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिपति राजेश बिंदल ने यह बात कही। बिंदल शनिवार को यहां अभ्यास मंडल द्वारा आयोजित 63वीं वार्षिक व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अवसर एवं चुनौती विषय पर संबोधित किया। कई बार बदल जाते हैं अर्थ व्याख्यानमाला की तीसरी संध्या पर आयोजित इस व्याख्यान में उन्होंने कहा कि अब हमारा समाज और हमारे बच्चे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ज्यादा जुड़ गए हैं। आज बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ नहीं होते हैं बल्कि वे मोबाइल के साथ ज्यादा होते हैं । अब तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से लेक्चर भी बनकर आ रहे हैं। एक बात को ध्यान रखिए की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमेशा आर्टिफिशियल ही होगा, वह कभी भी रियलिटी नहीं हो सकता है। हम जानकारी को एक भाषा से दूसरी भाषा में परिवर्तन करने का काम एआई के माध्यम से करते हैं । तो इसमें बड़ी त्रुटि होती है। हम सुप्रीम कोर्ट में जब किसी पिटीशन की सुनवाई करते हैं तो उस पर लिखते हैं लीव ग्रांटेड । इसका जब कभी मौका आने पर अनुवाद कराया गया तो सिस्टम ने लिख कर दिया कि छुट्टी मंजूर । तो इस तरह उसका अर्थ का अनर्थ हो गया। सुविधा के साथ एक बड़ा खतरा भी उन्होंने कहा कि इस समय आए दिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित खबरें आती रहती हैं। हर दिन हमारे पास मोबाइल कंपनी के फोन आते हैं। फोन में यह कहा जाता है की सुरक्षा की दृष्टि से कंपनी के द्वारा कॉल को रिकॉर्ड किया जा रहा है। इस तरह से हमारे फोन की भी रिकॉर्डिंग हो रही है। हाल ही में एक समाचार आया है कि आपके द्वारा फोन पर की गई बातचीत का वॉइस रिकॉर्ड और टैक्स्ट के रूप में पूरी बातचीत भी मिल जाएगी। यह निश्चित तौर पर व्यापार करने वालों के लिए एक सुविधा है लेकिन उसके साथ में एक बड़ा खतरा भी है। इस समय गूगल सबसे बड़ा ज्ञानी है । हमें यह जान लेना चाहिए कि स्कूल में टीचर जितना पढ़ा रहा है उससे ज्यादा ज्ञान तो हमारे बच्चों के पास है। जरूरत केवल इस बात की है कि हम उन्हें राष्ट्रीयता से जोड़ें अथवा बेहतर नागरिक के रूप में तैयार कर सकें। उन्होंने आज की स्थिति को बताते हुए कहा कि आप एक बार सिस्टम पर जाकर किसी शहर से किसी शहर में जाने के लिए अपनी टिकट बुक कीजिए। उसके बाद आप पाएंगे कि थोड़ी ही देर में जिस शहर में जाने की आपने टिकट बुक की है उस शहर में अच्छे होटल और अन्य सुविधाओं की जानकारी आपके पास आना शुरू हो जाएगी। यह सब क्या है ? यही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है । इसमें कहीं कोई गोपनीयता नहीं है । प्रश्न यह उठता है कि उनके पास यह सारा डाटा कहां से आ रहा है तो यह सारा डाटा उन्हें हम खुद ही उपलब्ध कराते हैं। बहुत सारा डाटा हमारे हाथ से निकल गया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक ऐप तैयार होता है तो उसमें 30000 करोड़ शब्द होते हैं। हम जब फुर्सत में होते हैं तो सिस्टम पर बैठकर कुछ सर्च करते हैं, कुछ देखते हैं, कुछ पूछते हैं.. इससे ही पूरा डाटा तैयार होना शुरू हो जाता है। एक लंबे अरसे तक कंप्यूटर पर हम पासवर्ड डालते थे लेकिन फिर तकनीक बदल गई । कहा गया कि आपके फेस को रिकॉग्नाइज करते हुए कंप्यूटर ओपन होगा या फिर फिंगरप्रिंट से काम करेगा। हम लोग इस सूचना से खुश हुए। हम यह नहीं समझ सके कि इस सूचना के माध्यम से कितने लोगों के फेस की जानकारी और फिंगरप्रिंट सिस्टम के पास जा रहा है। बिंदल ने कहा कि जितना ज्यादा डाटा होगा उतना ही बेहतर रिजल्ट निकल कर सामने आता है। इस नए सिस्टम में बहुत सारा डाटा तो हमारे हाथ से निकल गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी कम होने लगी यह जमाना डीप फेक का जमाना है, ऐसे में हमारे डाटा का क्या उपयोग होगा, यह सोचने वाली बात है। हमारे देश में टैलेंट बहुत है। बहुत सारे सॉफ्टवेयर तो हमारे देश में ही बन रहे हैं । दूसरे देशों में तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी कम होने लगी है लेकिन ऐसा कोई खतरा भारत में आने वाले कुछ साल में नजर नहीं आता है। हम लोगों ने अपने दिमाग का उपयोग करना बंद किया और तकनीक पर निर्भर होते हैं। उसके कारण ही हमारे सामने समस्या आ रही है। पहले बहुत सारे घरों के फोन के नंबर हमें याद होते थे । आज हालत यह है कि हमें अपना खुद का मोबाइल नंबर भी याद नहीं होता है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सकारात्मक उपयोग भी है। इसके कारण बहुत से काम आसानी से तेज गति के साथ हो पा रहे हैं। जब बहुत ज्यादा जानकारी हो तो उसे मैन्युअल कंपाइल करना मुश्किल हो जाता है। यह काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से बहुत कम समय में बहुत आसानी के साथ हो जाता है । इस तकनीक के कारण ही अब यह संभव हो पाया है कि आप इंदौर में बैठकर दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में कैस फाइल कर सकते हो, यहां बैठकर ही उस कैस की सुनवाई में शामिल भी हो सकते हो । तकनीक के माध्यम से पैदा होने वाली समस्या से हम तकनीक के माध्यम से ही निपट सकते हैं । उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुनिया के सामने एक बड़ा चैलेंज है। इसका हम सभी को मिलकर सामना करना होगा । डाटा बहुत ज्यादा इकट्ठा हो रहा है । इसमें से हम आवश्यकता के अनुसार उत्तर निकाल भी सकते हैं। जनता को सुविधा देने में एआई का इस्तेमाल- भार्गव कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण देते हुए महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि इंदौर में हमने जनता को सुविधा देने में एआई का इस्तेमाल किया है। हमारे यहां पर बहुत से काम हम इस तकनीक की मदद से बेहतर तरीके से कर रहे हैं । कार्यक्रम में पूर्व न्यायाधीश एसएस केमकर, समाजसेवी अशोक बडजात्या ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ल, पूर्व न्यायाधीश आईएस श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में अधिवक्तागण भी मौजूद थे । कार्यक्रम का संचालन अशोक कोठारी ने किया । कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथि का स्वागत दीप्ति गौड़, अभिनव धनोडकर, आदित्य डगांवकर, श्रुति जैन ने किया । अतिथि को स्मृति चिन्ह मेडिकैप्स विश्वविद्यालय के कुलपति रमेश मित्तल ने भेंट किया। संजीव चोपड़ा का व्याख्यान 1 सितंबर को अभ्यास मंडल के द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला में 1 सितंबर को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा का व्याख्यान होगा। उनके व्याख्यान का विषय है जय जवान जय किसान।