टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की इंदौर शाखा द्वारा जॉइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट के तहत विकसित किए जाने वाले प्रोजेक्ट पर भू-स्वामी एवं विकासकर्ता पर आयकर एवं जीएसटी के प्रावधानों के प्रभाव की व्याख्या के लिए एक सेमिनार किया। आयकर विषय पर सीए एस.एन. गोयल, सीए मनीष डफरिया एवं जीएसटी पर सीए सुनील खंडेलवाल एवं सीए कृष्ण गर्ग ने अपने विचार रखे। टीपीए प्रेसिडेंट सीए जे.पी. सराफ ने कहा कि – रियल स्टेट ट्रांजेक्शन में डायरेक्ट एवं इनडायरेक्ट टैक्सेशन के प्रावधानों का बहुत ध्यान रखना चाहिए। सेमिनार का संचालन कर रहे टीपीए के मानद सचिव सीए डॉ.अभय शर्मा ने बताया कि – इंदौर एवं बड़े शहरों में खेती की जमीनों के भाव करोड़ों में हो चुके हैं। ऐसी दशा में कॉलोनाइजर के लिए अब व्यावहारिक रूप से संभव नहीं होता कि वो पहले जमीन खरीदे एवं उसके बाद कॉलोनी डेवलप करें। अब व्यावहारिक रूप से जॉइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट के माध्यम से ही यह संभव है तथा इसमें जमीन मालिक तथा कॉलोनाइजर दोनों फायदे में रहते हैं। अतः यह जरूरी है कि जेडीए की ड्राफ्टिंग में पूर्ण सावधानी रखी जाए। एग्रीमेंट पर जीएसटी और आयकर दोनों के प्रावधान लागू होते है मॉडरेटर सीए सुनील पी जैन ने कहा कि – जमीनों के अधिक भाव होने के कारण इंदौर शहर एवं आसपास के क्षेत्रों में भू-स्वामी एवं विकासकर्ता एक जॉइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट के तहत मिलकर ऐसे प्रोजेक्ट पर कार्य करने लगे है। इस एग्रीमेंट के तहत दोनों के द्वारा या तो भूमि का निश्चित एरिया या उस से प्राप्त होने वाली राशि को बांट लिया जाता है। दोनों के बीच हुए इस एग्रीमेंट पर जीएसटी एवं आयकर दोनों के प्रावधान लागू होते हैं। सरकार ने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर गठित किया सीए कृष्ण गर्ग ने कहा कि – जीएसटी के अंतर्गत भूमि के विक्रय को जीएसटी कानून की अनुसूची 3 के तहत जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है। परन्तु सरकार द्वारा भू-स्वामी द्वारा किसी एग्रीमेंट के तहत विकासकर्ता को भूमि विकास के लिए दी जाने वाली सहमति (डेवलपमेंट राइट) को सेवा मानकर उस पर विकासकर्ता से रिवर्स चार्ज में जीएसटी भरने के प्रावधान है, परंतु अर्थव्यवस्था में टीडीआर के प्रकार एवं कुछ टीडीर में टैक्स दे तो आने तथा कुछ करमुक्त होने के संबंध में कई भ्रांतियां है। उन्होंने कहा कि भू-स्वामी को अपनी भूमि पर निर्माण या विकास कर स्वयं उपयोग या बेचने का अधिकार होता है। यदि वह यह अधिकार किसी विकासकर्ता को दे देता है तो भी वह भूमि से जुड़ा अधिकार होने के कारण भूमि का ही हिस्सा माना जाएगा। अतः जीएसटी कानून की अनुसूची 3 में होने के कारण उस पर जीएसटी नहीं लगेगा। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व में सर्विस टैक्स के समय में ऐसे मुद्दों पर विभिन्न कोर्ट द्वारा यही व्यवस्था दी गई है। इस संबंध में सरकार ने एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर गठित किया है और जल्दी ही कोई स्पष्टीकरण आने की संभावना है। 9 सितंबर को मंत्रियों के समूह से मीटिंग प्रस्तावित सीए सुनील खंडेलवाल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार द्वारा ऐसे व्यवहारों पर टैक्स लगाने के लिए डेवलपमेंट राइट के हस्तांतरण को सप्लाई माना है। परन्तु उस सप्लाई पर दिए जाने वाले कर की गणना कैसे कि जाएगी उसका कोई तरीका नहीं बताया गया है। अतः उस पर वैसे भी टैक्स नहीं लग सकता। उन्होंने सभा को यह भी जानकारी दी कि इस संबंध में मंत्रियों के समूह की एक मीटिंग 9 सितम्बर को प्रस्तावित है, जिसमें इससे जुड़े विवाद का समाधान हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा की प्लॉट की विक्रय राशि के अलावा विकास शुल्क, क्लब हाउस, इलेक्ट्रिक इंस्टालेशन या अन्य किसी नाम से पैसे लिए जाते हे तो उस पर कर देना होगा। व्यापारिक कमाई मानकर देना होगा आयकर सीए एस.एन गोयल ने कहा कि – ट्रांसफर डेवलपमेंट के अधिकार देने पर व्यक्ति या संयुक्त परिवार को एग्रीमेंट करते समय कोई आयकर दायित्व नहीं, डेवलपमेंट एग्रीमेंट के पंजीयन होने पर ही रेरा विभाग प्रोजेक्ट स्वीकृत करता है और आयकर भुगतान का दायित्व प्रोजेक्ट के आंशिक या पूर्णता( CC) होने पर ही आता है। प्लॉट बिक्री पर भू-स्वामी को कैपिटल गेन का दायित्व होगा तथा डेवलपर्स को व्यापारिक कमाई मानकर आयकर देना होगा। सीए मनीष डफरिया ने कहा कि – ऑडिटर को अपनी रिपोर्ट में करदाता ने यदि अपनी पूंजीगत अचल संपत्ति को व्यापार के लिए ट्रांसफर किया है तो बताना होगा। साथ ही 50 लाख या ज्यादा की रजिस्ट्री पर 1% की दर से टीडीएस भी क्रेता को बेचवाल का काटना होगा। कार्यक्रम में सीए उमेश गोयल, सीए प्रमोद गर्ग, सीए दीपक माहेश्वरी, सीए दिनेश गोयल, नवेंदु दवे, आर एस गोयल, सीए अजय सामरिया, सीए योगेश तलवार, सीए तेजेंद्र सिंह सहित बड़ी संख्या में सदस्य उपस्थित थे।