शाजापुर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त तत्वाधान में बाल अधिकारों व पॉक्सो अधिनियम विषय पर जागरूक करने के उद्देश्य और विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-1 किया गया। उक्त कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शाजापुर के अध्यक्ष एवं प्रधान जिला न्यायाधीश ललित किशोर मुख्य अतिथि तथा सचिव एवं जिला न्यायाधीश जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सिराज अली एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी डॉ स्वाती चौहान विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहीं। स्टूडेंट्स को जागरूक करने के लिए नाटकों का मंचन किया गया। बाल यौन शोषण आवाज उठाओं एवं बाल विवाह एवं यह कैसी यातना विषय पर नाटकों को प्रदर्शित कर बाल यौन शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ संदेश देकर विद्यालयीन छात्र-छात्राओं को जागरूक किया। प्रधान न्यायाधीश ललित किशोर ने बच्चों को बताया कि आप अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित कर अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। जीवन में कभी भी कोई ऐसा काम नहीं करें जिससे आपका भविष्य बर्बाद हो जाए। जीवन में अनुशासन बनाएं रख कर आगे बढ़ें और सदैव कानून का पालन करें। अनुशासन के साथ संयमित जीवन जीने से लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य होगी। हो सकता है, पहली या दूसरी कोशिश में सफलता नहीं मिले, इस कारण असफलताओं से निराश होकर पीछे नहीं हटना और निरंतर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयास करना है। विशेष अतिथि सिराज अली ने बताया, 18 वर्ष से कम उम्र के विद्यार्थी को वाहन चलाना वर्जित है। अपवाद स्वरूप 16 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति इलैक्ट्रिक वाहन या 100 सीसी तक के वाहन ड्राइविंग लाइसेंस व अन्य दस्तावेजों के साथ चला सकते हैं। बिना लाइसेंस के वाहन चलाना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है, और 15 वर्ष या उससे कम उम्र के छात्र-छात्राएं इन वाहनों को भी नहीं चला सकते हैं। वहीं प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट किशोर न्याय बोर्ड, डॉ स्वाति चौहान ने लैंगिक अपराधों से सरंक्षण अधिनियम के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। बताया कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को पढ़ने और खेलने का अधिकार है। कोई व्यक्ति 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ अश्लील हरकत करता है, उन्हें गंदा साहित्य पढ़ाता या गंदे चित्र, वीडियो दिखाता है और गंदी मानसिकता के साथ उन्हें स्पर्श करता है तो संविधान में इसके लिए पॉक्सो एक्ट बनाया गया है। जिसमें उम्र कैद और मौत की सजा तक का अब प्रावधान हो गया है।