जिला अस्पताल में पहुंचे कलेक्टर-एसपी:तीसरी मंजिल पर दो वार्ड बनाने की हुई चर्चा, इमरजेंसी वार्ड के पास के कमरे तोड़कर हॉल बनेगा

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अशोकनगर जिला अस्पताल में शुक्रवार को विभागों के अधिकारियों ने निरीक्षण किया। सुबह के समय ही कलेक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी एवं पुलिस अधीक्षक विनीत कुमार जैन राजस्व अमले के साथ अस्पताल में पहुंचे और मुख्य गेट से ही एक-एक वार्ड एवं कमरों को देखा। इस दौरान व्यवस्थाओं को लेकर कुछ सुझाव अधिकारियों ने दिए, जबकि कुछ स्वास्थ्य विभाग ने भी मांग रखी। कलेक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी ने बताया कि शासन के निर्देश पर जिला अस्पताल में क्या-क्या कमियां है, इस बारे में निरीक्षण किया गया। सीसीटीवी कैमरे एवं कंट्रोल रूम को लेकर भी व्यवस्थाएं देखी जा रही है। साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी निरीक्षण किया है। हमारे यहां इमरजेंसी वार्ड छोटा है, उसे बढ़ाया जाएगा। बाउंड्री वॉल काफी छोटी है जिसकी हाइट ऊंची की जाएगी। जन औषधि केंद्र की जगह बढ़ाई जाएगी, जहां पर भोजनालय की जगह पड़ी है उसे स्टोर रूम में शिफ्ट करके स्पेस निकल जाएगा। जिला अस्पताल के मुख्य गेट से ही अधिकारियों ने निरीक्षण किया। इस दौरान पूरे परिसर में लाइट लगाने को लेकर चर्चा हुई, ताकि रात के समय अंधेरा ना रहे। इसके बाद ट्रॉमा सेंटर के मुख्य गेट से प्रसूति वार्ड का निरीक्षण करते हुए ओपीडी एवं गैलरी से होते हुए, पीछे की ओर पहुंचे, जहां पर पोस्टमॉर्टम रूम की ओर जाने वाले रास्ते पर सीसी निर्माण कराने को लेकर बात रखी गई। इसके बाद जिला अस्पताल के गार्डन का निरीक्षण किया, जिसमें सुधार किए जाने के लिए अधिकारियों ने निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि यहां पर इस समय जो पौधे लगाए गए हैं वह झाड़ियां की तरह है इनकी छंटनी करके व्यवस्थित करें, साथ ही वहां पर कुछ जगह में सेट लगाकर लोगों को बैठने के लिए व्यवस्था बनाई जाएगी। उसके बाद इमरजेंसी आठ नंबर वार्ड में पहुंचे, जहां पर निरीक्षण किया गया। इस दौरान देखा कि कमरे मैं स्पेस काफी कम है पास के दो कमरों को तोड़कर इमरजेंसी वार्ड को हल में परिवर्तन किए जाने के लिए निर्देश दिए। इसके बाद तीसरी मंजिल पर पहुंचने, ऊपर की गैलरी के दोनों और खाली पड़े छत पर दो वार्ड बनाए जाने के लिए सुझाव रखा गया। इस मौके पर ही पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों से चर्चा की, इस दौरान उन्होंने बताया कि यह दोनों वार्ड लगभग अस्सी लाख रुपए की लागत से बनेंगे। यह वार्ड बनाने के बाद लगभग अस्पताल में 50 से अधिक बिस्तर के बेड की क्षमता बढ़ जाएगी। साथ ही वहां के महिला एवं पुरुष वार्ड का निरीक्षण कर बीच वाले फ्लोर पर पहुंचे, जहां पर बच्चा वार्ड का निरीक्षण किया जहां पर भी कुछ सुझाव दिए।