1540 करोड़ रुपए खर्च करके मप्र में वर्ल्ड क्लास टेिक्नकल एजुकेशन देने के लिए बनाए गए ग्लोबल स्किल पार्क (जीएसपी) से पहले ही साल छात्रों ने दूरी बना ली है। जुलाई में जीएसपी के भीतर 480 सीट के साथ 4 कोर्स के साथ पहला सत्र शुरू हुआ, लेकिन में प्रदेश के छात्रों ने रुचि नहीं दिखाई और केवल 125 सीटें ही भर पाई। जबकि एक साल पहले इसे कम्प्लीट बताकर अफसरों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री से इसका शुभारंभ करवा दिया था। कम एडमिशन की वजह जानने के लिए पड़ताल की तो पता चला कि पॉलीटेक्नीक इंस्टीट्यूट से डिप्लोमा करके और आईटीआई से कोर्स करके आने वाले छात्रों के लिए सबसे जरूरी पार्ट लैब होता है, जो कि यहां अब तक नहीं बनी है। जो 4 कोर्स इस साल शुरू किए हैं, उनके लिए भी लैब का काम 85 फीसदी तक पूरा हुआ है। दूसरी बड़ी समस्या यह है कि छात्रों के रहने के लिए बनाए जा रहे हॉस्टल का अब तक 50 फीसदी काम ही हो पाया है। यह हाल तब हैं, जबकि ग्लोबल स्किल पार्क अपनी डेडलाइन से साढ़े तीन साल बाद पहला कोर्स शुरू कर पाया है। अफसर तर्क दे रहे हैं कि मप्र में आईटीआई और पॉलीटेक्नीक के परिणाम देरी से आने के कारण सीट खाली है। अब अक्टूबर में दोबारा प्रवेश प्रक्रिया चलाएंगे। छात्र 125, फैकल्टी 80, हर महीने खर्च 35 से 40 लाख रुपए
छात्रों की संख्या भले ही कम हो, लेकिन यहां फैकल्टी पर जमकर खर्च किया जा रहा है। अभी करीब 80 लोग काम कर रहे हैं। इन पर हर महीने 35 से 40 लाख रुपए सिर्फ वेतन पर खर्च हो रहा है। इनमें जीएसपी के सीईओ राम रामालिंगम को करीब 4 लाख रुपए वेतन मिलता है। दूसरे नंबर के अफसर सीनियर डायरेक्टर व सेवानिवृत्त आईएएस शमीमउद्दीन को पौने तीन लाख रुपए और अन्य पांच डायरेक्टर को ढाई-ढाई लाख रुपए वेतन दिया जाता है। इन सभी को मिलकर शुभारंभ से लेकर अगले चार साल में स्ववित्तीय संस्थान के रूप में ग्लोबल स्किल पार्क को विकसित करना है। ^यह पहला सत्र है। इनमें प्रवेश संख्या इसलिए कम है, क्योंकि आईटीआई और पॉलीटेक्नीक के परिणाम देरी से आए। अक्टूबर में सभी सीटें भर जाएंगी।
-राम रामालिंगम, सीईओ, ग्लोबल स्किल पार्क, भोपाल