अस्थि कलश साल में एक बार ही क्यों निकले जाते हैं? पर्यटकों की मांग पर उन्हें हर समय बाहर रखा जा सकता है। यह सवाल केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने रायसेन कलेक्टर अरविंद दुबे ने किया। दुबे ने उन्हें बताया कि यह परंपरा काफी पहले से चली आ रही है। शुक्रवार को पर्यटन मंत्री सांची पहुंचे और यहां बौद्ध स्तूप को करीब से निहारा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों ने भगवान बौद्ध की शिक्षा और सम्राट अशोक के संदेशों से अवगत करवाया। उन्हें सांची स्तूप की बनावट शैली, उसके ऐतिहासिक तथा पुरातात्विक महत्व को समझा। शेखावत को बौद्ध स्तूपों के साथ ही यहां के नैसर्गिक सौंदर्य ने आकर्षित किया। पर्यटन विभाग के गाइड्स को पास में बैठाकर किए सवाल केंद्रीय पर्यटन मंत्री शेखावत ने पर्यटन विभाग के तीन गाइड्स को अपने साथ कुर्सी पर बिठाया। उन्होंने कहा कि जो पर्यटकों को समझते हो, वह मुझे भी बताओ। गाइड ने भगवान बुद्ध के विषय में और सांची की कलाकृति के बारे में उन्हें विस्तार से बताया। उन्होंने पर्यटकों के नजरिए से जो समस्याएं सामने आती हैं, वह भी बताने को कहा। गाइड ने बताया- सांची क्षेत्र में और रेलवे स्टेशन पर कहीं भी स्क्रीन या बोर्ड नहीं लगाए गए हैं, जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को सांची स्तूप और उदयगिरि जाने के विषय में जानकारी मिल सके। उन्होंने ट्रेनों के स्टॉपेज की बात भी कही। इस पर मंत्री ने सांची में बोर्ड और स्क्रीन लगाने को कलेक्टर से कहा। लिखा- विश्व धरोहर ‘सांची-स्तूप’ पर आना बेहद रोमांचक अनुभूति है उन्होंने बुक में अपने सांची स्तूप घूमने के अनुभव को शेयर किया। उन्हों लिखा विश्व धरोहर ‘सांची-स्तूप’ पर आना बेहद रोमांचक अनुभूति है। भारत का वैभव व बौद्धिक संपदा पूरे विश्व के लिए क्यूंकर आकर्षण का केन्द्र बनी, यहां आकर सहज ही समझा। इसके बाद उन्होंने चैती गिरी बिहार मंदिर में भगवान बुद्ध के दर्शन किए। पर्यटन स्थलों के विकास के लिए किया जा रहा काम मंत्री शेखावत ने कहा- पर्यटन स्थलों के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार लगातार काम कर रही है। पर्यटन स्थलों को टूरिस्ट सर्किट से जोड़ा जा रहा है। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही रोजगार के नवीन अवसर भी सृजित हो रहे हैं। इस अवसर पर कलेक्टर अरविंद दुबे एसपी पंकज पांडेय क्षेत्रीय निदेशक भुवन विक्रम अधीक्षण पुरातत्वविद मनोज कुर्मी सहायक पुरातत्व विद एमसी जोशी इंजीनियर संदीप जायसवाल मौजूद रहे थे।