इंदौर के बीआरटीएस को लेकर गुरुवार को हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई करीब दो घंटे चली। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट 10 साल पुरानी है। 10 साल में काफी बदलाव हुए है, रिंग रोड और बायपास बने हैं। वर्तमान में बीआरटीएस की व्यवहारिकता कितनी है ये देखना होगा। कमेटी गठित करने के संबंध में आदेश जारी करेंगे। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय करेंगे। लोगों से बात कर उनकी राय भी ली जाएगी। वो बीआरटीएस चाहते हैं या नहीं। बता दें बीआरटीएस प्रोजेक्ट को लेकर हाई कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं चल रही हैं। दोनों ही याचिकाकर्ता समाजसेवी किशोर कोडवानी ने लगाई हैं। इन याचिकाओं में 32 बिंदुओं के माध्यम से बीआरटीएस प्रोजेक्ट को चुनौती दी गई है। कहा है कि शहर की दो प्रतिशत जनता के लिए सरकार ने 48 प्रतिशत सड़क पर बीआरटीएस बना रखा है। यह आम आदमी के समानता के अधिकार का हनन है। इस प्रोजेक्ट की वजह से जितने लोगों को फायदा पहुंच रहा है उससे कहीं ज्यादा लोग इसका नुकसान उठा रहे हैं। याचिकाकर्ता ने ये कहा – बीआरटीएस पर सरकार फ्लाईओवर बनाने जा रही है। यह सिद्ध करता है कि बीआरटीएस असफल रहा है। – फ्लाईओवर बनाने के दौरान बीआरटीएस पर बसों का आवागमन बंद रहेगा ऐसी स्थिति में रैलिंग हटाकर इसे खत्म कर दिया जाए। शासन ने ये कहा – शासन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इंदौर का बीआरटीएस देश के सफलतम प्रोजेक्ट में से एक है। – कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में खुद कहा है कि 50 हजार यात्री प्रतिदिन इसका लाभ ले रहे हैं। – बीआरटीएस से शहर की जनता को बहुत फायदा हो रहा है। फ्लाईओवर निर्माण के दौरान भी यातायात जारी रहेगा।