जंगल-पानी के रास्ते मलेशिया ले जाकर छोड़ा:दलालों ने डंकी मूवी की तरह जबलपुर से विदेश भेजा; जॉब नहीं मिली, फुटपाथ पर सोना पड़ा

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2023 में शाहरुख खान की मूवी डंकी आई। कहानी कुछ इस तरह है- पंजाब के गांव लाल्टू के कुछ युवा तंगहाली से परेशान हैं। वे लंदन जाकर पैसे कमाना चाहते हैं। गरीब घर से होने और अंग्रेजी न आने की वजह से वीजा नहीं मिल पाता। थक – हारकर वे गैरकानूनी तरीके से लंदन जाने की तैयारी करते हैं। एक फौजी के रूप में शाहरुख खान इस गांव में आते हैं और इन युवाओं के रहनुमा बनते हैं। फिल्म में शाहरुख के किरदार का नाम हार्डी है। हार्डी लंदन जाने वाले तीन-चार लोगों के ग्रुप का लीडर बनता है। सड़क और समुद्र मार्ग से इन लोगों को लेकर लंदन के लिए निकल पड़ता है। इस गैरकानूनी विदेश यात्रा को डंकी लगाकर जाना कहते हैं। कुछ ऐसा ही सीन जबलपुर के दो लोगों के साथ हुआ। फर्क सिर्फ इतना है कि दोनों को इस बात का बाद में पता चला। दलालों ने उन्हें मलेशिया में अच्छी जॉब का सपना दिखाया, उनसे मोटी रकम ऐंठी और गलत तरीके यानी डंकी लगाकर जंगल-पानी के रास्ते उन्हें मलेशिया छोड़ आए। मलेशिया पहुंचकर जॉब नहीं मिली। फुटपाथ पर सोना पड़ा। भूखा रहकर छोटा-मोटा काम तलाशा। ये कहानी जबलपुर शहर के रद्दी चौकी इलाके में रहने वाले 21 साल के मोहम्मद इमरान अंसारी और गोहलपुर में रहने वाले सरफराज अहमद की है। दोनों तो लौट आए, लेकिन उनका कहना है कि कई युवा मलेशिया में फंसे हुए हैं। दलालों ने उन्हें अच्छी जॉब का कहकर भेजा, लेकिन छोटा-मोटा काम करना पड़ रहा है। जिंदगी जानवरों जैसी है। दलालों का नेटवर्क जबलपुर से चेन्नई, बैंकॉक (थाईलैंड) और मलेशिया तक जुड़ा हुआ है। जिन्होंने पुलिस में शिकायत की, उनसे ही जानते हैं… पाकिस्तानी शख्स ने डंकी लगाकर बैंकॉक से मलेशिया पहुंचाया…
15 जनवरी 2024 को मेरी दोस्ती जबलपुर के गोहलपुर के रहने वाले शाहनवाज से हुई। उसने बताया कि मलेशिया में अच्छी नौकरियां हैं। जबलपुर के ही रहने वाले इश्तियाक और सलीम लोगों को मलेशिया भेज रहे हैं। शाहनवाज मुझे साथ में जबलपुर से मुंबई, फिर कुआला लम्पुर (मलेशिया) ले गया। शाहनवाज के पास वीजा था। वह मलेशिया में रुक गया, लेकिन मुझे वीजा न होने पर एयरपोर्ट से लौटा दिया गया। 48 घंटे में मलेशिया से वापस भारत लौट आया। जबलपुर आकर इश्तियाक और सलीम से मुलाकात हुई। दोनों ने 90 हजार रुपए लिए। मुझसे कहा कि कुआलालामपुर के एक होटल में अच्छी नौकरी है। मलेशियाई करेंसी रिंगगिट (MYR) में तनख्वाह मिलेगी। इंडियन करेंसी में महीने के 45 हजार रुपए होंगे। 25 मार्च 2024 को टूरिस्ट वीजा लेकर कोई पीटीपी कंपनी में काम करने के लिए जबलपुर से मुंबई और फिर बैंकॉक पहुंचा। यहां एक वसीम नाम का सख्श मिला, जो शायद पाकिस्तान का था। वसीम मुझे बैंकॉक से जंगल, सड़क और पानी के रास्ते मलेशिया की राजधानी कुआलालामपुर ले गया। मेरे साथ अमृतसर और बिहार के भी दो – दो लड़के थे। हम पांचों लोगों को एक जगह ले जाया गया। न तो नौकरी मिली, न रहने की जगह। मुझे समझ आ गया कि मेरे साथ ठगी हुई है। वसीम ने एक मोबाइल और सिम दी थी। पैसे खत्म हुए तो पिता रहमान अंसारी को फोन लगाया। मलेशिया में मेरे हालात बहुत खराब हो गए थे। वहां कई और लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें अच्छी जॉब का लालच देकर ले जाया गया है और उन्हें सड़क किनारे रहकर मजदूरी करना पड़ रही है। दलाल करेंसी बदलने से लेकर विदेश की सिम और टूरिस्ट वीजा तक उपलब्ध करवाते हैं। इसके लिए भी पैसे लिए जाते हैं। जबलपुर लौटने पर सलीम और इश्तियाक से उनके ऑफिस मिला। ऑफिस गोहलपुर थाने के तलैया में है। उनसे पैसे वापस मांगे तो बोले कि हमें बिना बताए लौट आए। इसलिए पैसे वापस नहीं मिलेंगे। पैसों के लिए काफी चक्कर काटे, बाद मं 27 अगस्त को गोहलपुर थाने में सलीम, इश्तियाक, वसीम के खिलाफ शिकायत की।
(जैसा मोहम्मद इमरान अंसारी ने भास्कर को बताया) पत्नी के जेवर बेचकर मलेशिया गया…
सरफराज अहमद ने बताया, मुझे भी इमरान की तरह धोखा मिला। पत्नी के जेवर बेचकर मलेशिया गया था। मैं हार्ट का मरीज हूं। हल्का काम करना था, इसीलिए सलीम के जरिए मलेशिया जाने के लिए अप्लाई किया। उसने कहा था कि आपका काम होटल में रहेगा। गेस्ट को उनके रूम तक पहुंचाने का काम होगा। मुझसे 30 हजार रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कराए। 30 हजार रुपए मलेशिया पहुंचकर देने की बात कही। कुआला लाम्पुर के एक होटल का पता देकर वहां रुकने के लिए कहा। सलीम ने वहां के एक एजेंट का नंबर दिया था। उसे कॉल लगाया तो उसने बस में बैठकर केएल सेंटर आने का कहा। यहां पहुंचा तो रहीम नाम का शख्स मिला। वह मुझे किराए के एक कमरे में ले गया। यहां चार दिन तक रखा। मैं 28 फरवरी को जबलपुर से मलेशिया के लिए निकला था। 2 मार्च को पहुंचा, तो एजेंट रहीम ने कहा कि होटल में किसी और को रख लिया गया है। वह मुझे मलेशिया के अलग-अलग शहरों में नौकरी के लिए घुमाता रहा। मेरे पास जितने भी पैसे थे, खत्म हो गए। घरवालों से पैसे मंगवाए और जबलपुर आया। क्या होता है डंकी रूट?
लोग जब गैरकानूनी रूप से बिना वीजा और पासपोर्ट विदेश की यात्रा करते हैं, तो वहां तक जाने के लिए जिस मार्ग का इस्तेमाल करते हैं, उसे डंकी रूट कहते हैं। मान लीजिए कि आपके पास पासपोर्ट और वीजा नहीं है, इस स्थिति में आप किसी भी कीमत में देश से बाहर (कुछ अपवादों को छोड़कर) नहीं जा सकते। कुछ ऐसी फ्रॉड कंपनियां होती हैं जो यात्रियों को बिना किसी डॉक्यूमेंट्स के इन देशों में पहुंचाने का काम करती हैं। इसके बदले वो मोटी रकम भी एंठती हैं। ये कंपनियां लोगों को हवाई मार्ग से न भेजकर सड़क और समुद्री रास्तों से भेजती हैं। हर देश में इनके एजेंट भी मौजूद रहते हैं। वो गैरकानूनी रूप से यात्रा करने वाले लोगों को ट्रकों, शिप और कंटेनर में भरकर एक देश से दूसरे देश का बॉर्डर पार कराती हैं। ऐसी यात्राएं कई दिनों तक चलती हैं। कई लोग बीच रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। फिल्म डंकी इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करती है।