नर्मदापुरम के डोलरिया में 6 साल के स्कूली छात्र की कार में दम घुटने से मौत होने के मामले में 6 साल बाद फैसला आया। फैसले में स्कूल संचालक को कोर्ट ने दोषी करार देते हुए एक वर्ष की सजा सुनाई है। फैसला 7अगस्त को आया। फैसले में सुनाई एक साल की सजा से मृतक बालक नैतिक गौर के पिता बघवाड़ा निवासी सुरेंद्र गाैर संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि बेटे की मौत स्कूल संचालक की लापरवाही से हुई। मैंने अपना इकलौता बेटा खोया। जिंदगीभर का मुझे गम मिला। लेकिन गम देने वाले स्कूल संचालक उत्कर्ष गौर को मात्र एक साल की जेल में रहने की सजा। मैं इस फैसले से संतुष्ट नहीं हूं। अपराधी को कम से कम 5साल की सजा हो। उसके लिए हाईकोर्ट जाऊंगा। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने स्कूल संचालक उत्कर्ष गाैर काे दोषी करार देते हुए एक वर्ष का सश्रम कारावास व एक हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। नैतिक के पिता सुरेंद्र गौर कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है। उनके मुताबिक एक साल की सजा कम है। कम से कम 5 वर्ष की सजा हाेनी थी। इस फैसले के खिलाफ हाईकाेर्ट जाएंगे। कार से बाहर नहीं निकाला और लॉक कर दिया था बघवाड़ा निवासी सुरेंद्र गाैर के बेटे नैतिक (6) की माैत मार्च 2018 को डोलरिया के साईं इंटरनेशनल के स्कूल संचालक उत्कर्ष गाैर की कार में दम घुटने से हुई थी। छात्र नैतिक गौर (6) केजी टू का छात्र था और स्कूल संचालक के भाई नितिन गौर के साले का बेटा था। वह हमेशा उनके साथ कार से स्कूल आता था। 19 मार्च को वह रोज की तरह स्कूल संचालक के भाई की कार में स्कूल गया था। कार में अन्य शिक्षक भी बैठे थे। सभी कार के कांच तक बंद कर स्कूल के अंदर चले गए। किसी ने नैतिक को बाहर नहीं निकाला। कुछ देर बाद जब ध्यान आया कि नैतिक कहा है तो देखा कार के अंदर था। अंदर बंद रहने से उसकी तबियत बिगड़ गई। नैतिक को पहले नर्मदापुरम ले जाया गया था, बाद में भोपाल रैफर किया था। कुछ दिन बाद रैंबो अस्पताल भोपाल में नैतिक ने दम तोड़ दिया था। मौत के मामले में डोलरिया पुलिस ने 6 दिन बाद स्कूल संचालक उत्कर्ष गौर पर केस दर्ज किया था। पीएम रिपोर्ट के मुताबिक कार में दम घुटने के कारण नैतिक की मौत हुई थी। नैतिक की मौत पर मानव आयोग ने संज्ञान लिया था। इसके बाद मामले में सख्ती से कार्रवाई की गई थी।