50 करोड़ का रीजनल पार्क पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। 15 दिन से यहां लाइट ही बंद है। फाउंटन खराब, टूटे झूले, उखड़ी टाइल्स, चारों ओर गंदगी। हालत ये है कि अब यहां लोगों ने जाना ही बंद कर दिया है। कहने को देखरेख के लिए निगम ने यहां कर्मचारी तैनात कर रखे, लेकिन कर्मचारी यहां किसी तरह का ध्यान नहीं देते। नगर निगम अब इस गार्डन को 27 साल के लिए पीपीपी मॉडल पर देना चाहता है, लेकिन कोई कंपनी इसे लेने को तैयार नहीं है। अब निगम ने तीसरी बार इसके लिए टेंडर बुलाने की तैयारी की है।
इंदौर विकास प्राधिकरण ने 2007 में रीजनल पार्क का काम शुरू किया था। वर्ष 2011 में इसे निगम को हैंडओवर कर दिया। निगम तीन साल से इसके लिए टेंडर बुलवा रहा है। इसके पहले दो बार टेंडर बुलाए थे। पहली बार 1 करोड़ 33 लाख रुपए का रेट मिला था। यह रेट कम होने पर निगम ने टेंडर निरस्त कर दिया। दोबारा टेंडर किए गए लेकिन किसी एजेंसी ने हिस्सा नहीं लिया। अब तीसरी बार फिर से इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। नए टेंडर में 4 हेक्टेयर में एम्यूजमेंट पार्क बनाने की भी शर्त है। एमआईसी सदस्य राजेंद्र राठौर व अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर ने बताया, इसी हफ्ते निगम टेंडर जारी करेगा। 39 एकड़ में बना था पार्क, तालाब भी था इसी में शामिल
पीपल्यापाला क्षेत्र में 39 एकड़ में रीजनल पार्क बनाया गया था। 80 एकड़ झील के आसपास इसे बनाया गया था। जब निर्माण हुआ था तब बोटिंग, म्यूजिकल फाउंटेन, जंपिंग जेट फाउंटेन, आर्टिस्ट्स विलेज, इंडियन गार्डन, नेकलेस गार्डन, फ्रेंच गार्डन, भूलभुलैया, बायो-डायवर्सिटी गार्डन, मिस्ट फाउंटेन, लेक व्यू पॉइंट और एम्फीथिएटर, मिनी क्रूज चलाने की योजना थी लेकिन कुछ ही समय में सब बदहाली की भेंट चढ़ गए। निगम ने यहां 100 लोगों का स्टाफ भी लगा रखा है। गांधी हॉल, मराठी संकुल संभालने को भी कोई तैयार नहीं