छत्रपति नगर के दलाल बाग में मुनि विनम्र सागर महाराज ने बुधवार को प्रवचन एक मुनिराज पर दिया। उन्होंने कहा मैं उनका नाम अभी नहीं बताऊंगा। उनका मंदिर के प्रति आकर्षण था। मंदिर जाकर खूब भजन गाते थे। कहते थे मेरी जीवन शैली भी अद्भुत है। गुटका मुंह में है और भक्ति दिल में है। न मैं राशि गुटका छोड़ सकता हूं न आचार्य श्री को। गुरुदेव विद्यासागर महाराज ने कहा था कि व्रत ले लो, तो उन्होंने कहा अभी व्रत नहीं ले सकते और कहा नहीं मिला तो सोचेंगे। उनका एक दिन ऐसा आया, जिससे उम्मीद थी उसने धोखा दे दिया, वो फिर से गुरुदेव के पास आए और कहा दुनिया धोखेबाज है। आप मुझे व्रत दे दो हम आज से आपके ब्रह्मचारी हो गए है। गुरुदेव के ज्ञान कल्याणक पर उन्हें व्रत दे दिया, आज वो एक महान तपस्वी साधु है। मुनिश्री ने कहा आप सब भी आत्मा की शक्ति पहचानने यहां आए हो, आप धर्मात्मा हो, पापी व्यक्ति यहां नहीं आ पाता। आप आत्मा की अनंत शक्ति को पहचान पाओ या नहीं, अपने मान अपमान यानी अपने दुश्मन की शक्ति को अवश्य पहचान लेना। मुनिश्री कहते है व्यक्ति अपना चेहरा तो देखना चाहता है, किंतु अंदर की कलुषता को नहीं देखना चाहता। तुमको सुख और सुखाभास में अंतर नहीं मालूम, तुम्हें सुखाभास में ही सुख दिखता है। बुधवार सुबह गुरुदेव के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन के बाद गुरुदेव की आठ द्रव्यों से सभी श्रावक- श्राविकाओं ने पूजन की। इस अवसर पर मनोज बाकलीवाल, मनीष नायक,सतीश डबडेरा, सतीश जैन, आनंद जैन, कमल अग्रवाल, अमित जैन, शिरीष अजमेरा,आलोक बंडा, प्रदीप स्टील, रितेश जैन आदि विशेष रूप से मौजूद थे। मुनि निस्वार्थ सागर महाराज भी मंच पर विराजित थे। दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया रोजाना सुबह 8.30 बजे से आचार्य श्रीजी की पूजन के बाद 9 बजे से मुनि श्री के प्रवचन दलाल बाग में हो रहे है। 10 बजे से आहार चर्या होती है। धर्म सभा का संचालन भरतेश बड़कुल ने किया।