महाकाल की शाही सवारी पर सोमवती अमावस्या का संयोग:लाखों श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान, प्रशासन के लिए भीड़ प्रबंधन चिंता

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श्री महाकालेश्वर मंदिर से भादो महिने की दूसरी और शाही सवारी पर सोमवती अमावस्या का संयोग बना है। बाबा महाकाल की शाही सवारी के दर्शन करने वाले और प्रदेश भर से सोमवती का स्नान करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु शहर में रहेगें। जाहिर है कि भीड़ प्रबंधन के लिए प्रशासन के सामने चुनौती रहेगी। श्री महाकालेश्वर मंदिर से भगवान महाकाल की श्रावण-भादो में निकलने वाली सवारी के क्रम में भादो महिने की दूसरी और क्रम अनुसार सातवी, शाही सवारी 2 सितंबर को नगर भ्रमण पर निकलेगी। शाही सवारी का मार्ग पर करीब पांच किलोमीटर के दायरे में होगा। वहीं इसी दिन सोमवती अमावस्या का संयोग होने से प्रदेश के विभिन्न जिलों से श्रद्धालु सोमतीर्थ व शिप्रा नदी पर स्नान कर देव दर्शन करेंगे। दोनो पर्व एक साथ होने से शहर में लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी रहेगी। ऐसे में श्रद्धालुओं को सुविधा पूर्वक स्नान करने व महाकाल दर्शन के साथ ही सवारी के दर्शन कराने के लिए प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। शाही सवारी के पांच दिन शेष प्रशासन तैयारी में जुटा भगवान महाकाल की शाही सवारी में पांच दिन शेष रह गए हैं, ऐसे में प्रशासन तैयारी में जुटा है। हालांकि सवारी के दौरान भगवान महाकाल के दर्शन के लिए पिछले वर्ष की तरह ही व्यवस्था रहेगी। आम भक्तों को चारधाम मंदिर के सामने से महाकाल महालोक होते हुए मानसरोवर से मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। यहां से श्रद्धालु कार्तिकेय व गणेश मंडपम से भगवान महाकाल के दर्शन कराए जाएंगे। श्रद्धालुओं को बड़ा गणेश की ओर निकलने वाले निर्गम मार्ग से बाहर किया जाएगा। प्रोटोकाल व 250 की टिकट व्यवस्था बंद रहेगी महाकाल मंदिर में सोमवार को शाही सवारी और सोमवती अमावस्या होने से भीड़ अधिक रहेगी। लीहाजा इस दिन भी मंदिर प्रशासन द्वारा प्रोटोकाल व्यवस्था बंद रहेगी। वहीं 250 रूपए शीघ्र दर्शन की टिकट भी दोपहर 12 बजे तक ही चालू रहेगी। कारण है कि टिकट वाले श्रद्धालुओं के आने का मार्ग सभामंडप से होकर दर्शन के लिए जाता है। इधर सवारी के कारण सभामंडप में भगवान महाकाल के पूजन की तैयारी प्रारंभ हो जाती है। महाकाल सवारी के लिए खाली होगें घाट सोमवती अमावस्या का पर्व स्नान सोमवार अल सुबह से कालिदास उद्यान के पास स्थित सोमकुंड पर शुरू हो जाएगा। अधिकांश श्रद्धालु शिप्रा के रामघाट व अन्य घाट पर स्नान करते है। दिनभर स्नान का क्रम चलेगा, लेकिन प्रशासन द्वारा दोपहर में रामघाट खाली कराया जाएगा। कारण है कि शाम 4:30 से 5 बजे के बीच भगवान महाकाल की सवारी शिप्रा तट पहुंचेगी। यहां पर भगवान महाकाल का शिप्रा जल से अभिषेक पूजन के बाद सवारी नगर भ्रमण के लिए रवाना होगी। 70 भजन मंडली, पांच बैंड करीब डेढ़ किलोमीटर लंबा होगा दायरा बाबा महाकाल की शाही सवारी का दायरा करीब डेढ़ किलो मीटर लंबा होगा। सवारी में शामिल मुखौटे के अलावा करीब 70 भजन मंडली, डमरू दल, पांच बैंड, सशस्त्र पुलिस के जवान, पुलिस बैंड, जनजातीय लोक कलाकारों का दल शामिल होगा। वहीं सवारी का मार्ग भी शाही सवारी के लिए करीब 7 किलोमीटर का रहेगा। शाही सवारी शिप्रा तट से सत्यनाराण मंदिर, ढाबा रोड़ से सीधे मिर्जानईम बेग मार्ग, तेलीवाड़ा, कंठाल चौराहा, सती गेट, छोटा सराफा, छत्री चौक होकर गोपाल मंदिर पहुंचेगी। यहां से पटनी बाजार गुदरी चौराहा, महाकाल घाटी होकर वापस मंदिर आएगी।