जबलपुर पुलिस ने दो ठग हीरालाल और पन्नालाल को पकड़ा है। ये 5 साल में 100 से ज्यादा लोगों को ठग चुके हैं। पुलिसवालों तक की जेब काट चुके हैं। इनके टारगेट पर 50 साल की उम्र से ज्यादा के लोग रहते थे। आशीर्वाद लेने के बहाने ये उन्हें निशाना बनाते थे। हाल ही में 18 अगस्त को इन्होंने शहर के रांझी में रहने वाले आसाराम झा (53) के साथ वारदात की। इसके 6 दिन बाद सोमवार को पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। आसाराम प्राइवेट काम करते हैं। उन्होंने बताया, ’18 अगस्त की शाम 4 बजे मजदूरों को पेमेंट करना था। मैं साइट की ओर जाने के लिए पैदल निकला। मस्ताना चौक के पास दोनों ठग आ गए। एक ने बोला- दादा जी, आपका आशीर्वाद चाहिए। मैं बहुत परेशान हूं। मैं उसकी बात में आ गया। उसके सिर पर अपना हाथ रखा। इतने में उसका दूसरा साथी बड़ी ही सफाई से मेरा बैग उठाकर गायब हो गया। कुछ देर बाद जिसे मैं आशीर्वाद दे रहा था, वह भी गायब हो गया। बैग में 40 हजार रुपए थे। इसकी शिकायत रांझी थाने में की थी।’ कई बार जेल जा चुके दोनों शातिर आसाराम की शिकायत पर पुलिस ने ठगों की तलाश शुरू की। पता चला कि कुछ दिन पहले शहर के अधारताल, दमोह नाका और घमापुर में भी इसी तरह ठगी की गई हैं। जांच तेज की तो दो नाम सामने आए- अरुण जाट (45) निवासी कंजर मोहल्ला और मुन्ना शकील (47) निवासी बाबा टोला। मुखबिर की सूचना पर दोनों को व्हीकल फैक्ट्री इलाके से गिरफ्तार किया गया। 40 हजार रुपए भी जब्त किए। पुलिस के मुताबिक, दोनों इतने शातिर हैं कि भीड़ में एक-दूसरे को हीरालाल-पन्नालाल कहकर पुकारते थे। पुलिस रिकॉर्ड में इनके यही नाम हैं। दोनों कई बार जेल जा चुके हैं। बाहर आने पर फिर वारदातें करने लगते हैं। अक्सर दोनों बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के पास घूमते हैं। भीड़भाड़ में जैसे ही इन्हें कोई पैसे वाला दिखता, उसके पास जाते और बड़ी ही सफाई के साथ उसे ठग लेते। पुलिस रिकॉर्ड में अरुण जाट और मुन्ना शकील के खिलाफ जुआ, चोरी और आर्म्स एक्ट के भी मामले दर्ज हैं। पॉकेटमारों की लिस्ट में भी इनके नाम हैं। जेल में हुई दोस्ती, 5 साल से साथ अरुण और मुन्ना की दोस्ती 5 साल पहले जेल में हुई थी। तब से दोनों साथ में वारदात करते हैं। पकड़े जाते तो साथ में जेल जाते हैं। पूछताछ के दौरान दोनों ही ठगों ने यह भी कबूल किया कि उन्होंने कई पुलिस कर्मचारियों के साथ भी ठगी करते हुए पैसे उड़ाए हैं। पुलिस ने दोनों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।