रविवार को सिहोरा में 54 वर्षीय महिला की हत्या का जबलपुर पुलिस ने खुलासा करते हुए मृतिका के बगल में रहने वाले 28 वर्षीय युवक को गिरफ्तार किया हैं। मृत महिला अपने घर पर अकेले रहती थी और ब्याज पर लोगों को पैसे दिया करती थी। रविवार की दोपहर को आरोपी विकास त्रिपाठी ने चंदा श्रीवास्तव से एक लाख रुपए मांगे, जिस पर महिला ने देने से मना कर दिया। आवेश में आकर विकास ने पास ही रखी लोहे की हथौड़ी उठाई और चंदा के सिर पर हमला कर दिया। इसके बाद आरोपी ने महिला के गले से सोने की चेन और कान के टॉप्स उतारे और फरार हो गया। दोपहर को घूमते घूमते मृत चंदा श्रीवास्तव का भाई राजेन्द्र उर्फ गुड्डू श्रीवास्तव जो कि पास में रहता था वह बड़ी बहन चंदा श्रीवास्तव के घर गया तो सामने से दरवाजा बंद था। बड़ी मां की बेटी मोना श्रीवास्तव ने गेट खोला और दोनों घर के अंदर गए तो देखा कि चंदा श्रीवास्तव पंलग के बाजू से फर्स पर पड़ी थी, सिर में 2-3 जगह चोट लगने से खून निकल रहा था। खून देखकर मोना ने चिल्लाया तो उसके चाचा के लड़के अनुज तथा पड़ौसी मुबारक, आयुष यादव आये चंदा श्रीवास्तव को इलाज के लिए शासकीय अस्पताल सिहोरा उपचार हेतु ले गये डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव का पंचनामा कर हत्या का मामला अज्ञात के खिलाफ दर्ज करते हुए तलाश शुरू कर दी। शार्ट पीएम रिपोर्ट में चंदा की मृत्यु का कारण सिर में ठोस वस्तु से मारना निकाला। सिहोरा थाना प्रभारी विपिन सिंह ने जब अपनी टीम के साथजांच करना शुरू किया तो पाया कि चंद श्रीवास्तव के घर के बगल में रहने वाला विकास और मोना त्रिपाठी उसके ब्याज का पैसा कलेक्शन का काम करता है। सबसे ज्यादा चंदा के घर आना जाना विकास का ही होता था। संदेह के आधार पर विकास उर्फ मोना त्रिपाठी उम्र 32 वर्ष निवासी बल्ले मोर अखाडा के पीछे सिहोरा को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो पहले उसने इस घटना से अपने आप को दूर बताया पर बाद में जब पुलिस ने सख्ती दिखाई तो वह टूट गया। विकास ने बताया कि मौसी चंदा बाई ब्याज पर रूपये चलाती थी जिसके पैसों की वह वसूली करता था, उस पर काफी कर्जा हो गया था। घटना वाले दिन वह मौसी चंदा बाई के घर जाकर 1 लाख रूपये मांगा, तो उन्होंने देने से मना कर दिया। इसके बाद वह अपने घर आ गया। थोड़ी देर बाद विकास फिर चंदा श्रीवास्तव के घर लोहे की हथौडी लेकर पहुंचा और ताबड़तोड़ हमला करना शुरू कर दिया। चंदा को मारने के बाद उसने गले से सोने की चेन तथा कान के टाप्स निकालकर, मौसी के घर के दरवाजे को बाहर से बंद कर अपने घर चला गया था। आरोपी विकास इतना शातिर था कि हत्या के बाद से पुलिस को गुमराह करने के लिए साथ में घूमता रहा। विकास यह भी जानता था कि अगर वह गायब होता हैं तो पुलिस उस पर शक करते हुए गिरफ्तार कर सकती हैं, इसलिए घटनास्थल पर वह पूरे समय मौजूद रहा। बॉडी को पीएम तक ले जाने में भी मदद की। पुलिस की जांच के दौरान विकास पास में ही घूमता रहा जिसके चलते पुलिस को जरा भी विकास पर शक नहीं हुआ। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सूर्यकांत शर्मा ने बताया कि सभी से पूछताछ की गई थी लेकिन कहीं से भी सुराग नहीं मिल रहा था इसके बाद जब चंदा श्रीवास्तव के मोबाइल की कॉल डिटेल निकाली तो घटना के समय आखरी बार विकास त्रिपाठी से ही चंदा श्रीवास्तव की करीब डेढ़ मिनट तक बात हुई थी। विकास की मोबाइल लोकेशन भी घटनास्थल पर थी। पुलिस को यह समझते देर नहीं लगी कि अब विकास त्रिपाठी ही इस हत्याकांड का आरोपी है। इसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में लिया। विकास ने चंदा श्रीवास्तव की हत्या करने के बाद उनके पास लूटे गहने एक कपड़े से बांधकर अपने घर के बाजू में छत पर रखी पानी की टंकी में फेंक दिया। विकास जानता था कि अगर पुलिस शक करती है तो उसके घर की तलाशी भी ले सकती है यही वजह है कि उसने लूटी हुए जेवरात घर में न रखकर बाजू वाले मकान की पानी टंकी में फेंक दिया था। आरोपी ने खून से सनी हथौड़ी और अपनी शर्ट भी खाली प्लाट पर छिपा दी थी।