छत्रपति नगर के दलालबाग में समाजजन उमड़े। यहां मुनि विनम्र सागर महाराज के प्रवचन हो रहे है। सोमवार को प्रवचन में महाराजश्री ने कहा कि जब-जब भी मान-अपमान के क्षण आए श्रीकृष्णजी मुस्कुराते रहें। दुर्योधन के कई पाप माफ किए। दुर्योधन ने पांडवों से सब कुछ छीन लिया, श्रीकृष्णजी ने कौरवों से कहा था – पांडव पांच भाई है, इन्हें जीविकोपार्जन के लिए केवल पांच शहर दे दें, तो दुर्योधन ने कहा कि मैं एक इंच जमीन भी इन्हें नहीं दूंगा। तब श्रीकृष्ण ने कौरवों को चेतावनी दी थी कि अब याचना नहीं रण होगा। महाराजश्री ने कहा युद्ध के समय श्रीकृष्ण और उनकी सेवा के बंटवारे पर कौरवों ने पूरी सेना ले ली और पांडवों को मिले श्रीकृष्ण। ऐसे ही हमें मिले आचार्य विद्यासागर महाराज ने हम बांस के डंडों से खेलने वालों को हाथों में मृदु पिच्छिका दे दी थी। जिस प्रकार श्रीकृष्णजी ने पांडवों का रथ खींचकर उन्हें विजय दिला दी थी, हमको भी अपने गुरु का रथ खींचना है और उनके प्रकल्पों को पूरा करना है। राधा-कृष्ण का जब संवाद हुआ तो राधा ने कृष्ण से कहा था कि आपको मुझसे ज्यादा अपनी प्यारी तो यह बांसुरी है, जिसको आप अधिकतर समय अपने पास रखते हो। राधा ने कृष्ण से पूछा था उसमें ऐसी क्या बात है ? तब श्रीकृष्ण ने कहा था बांसुरी अपने अंदर कोई गांठ नहीं रखती, जब भी बोलती है हमेशा मीठा बोलती है। उन्होंने कहा – आप श्रीकृष्ण से क्या सिखते हो ? फिर कहते हैं आज ही गोरक्षा का संकल्प लें तभी जन्माष्टमी मनाने की सार्थकता है। श्रीकृष्ण जी ने तो गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था, आप पहले कम से कम एक गाय को अवश्य ही पालों। दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि गुरुदेव के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन के बाद गुरुदेव की आठ द्रव्यों से सभी श्रावक-श्राविकाओं ने पूजन की। इस अवसर पर मनीष नायक, सतीश डबडेरा, सतीश जैन, आनंद जैन, कमल अग्रवाल, अमित जैन, शिरीष अजमेरा, सूमत प्रकाश जैन, प्रदीप स्टील, रितेश जैन सहित बहुत अधिक संख्या में सामाजजन मौजूद थे। मुनि निस्वार्थ सागर महाराज भी मंच पर विराजित थे। रोजाना सुबह 8.30 बजे से आचार्य श्रीजी की पूजन के बाद 9 बजे से मुनि श्रीजी के प्रवचन, दलाल बाग में हो रहे हैं।