गीता भवन में भागवत ज्ञान यज्ञ:सच्चा आनंद तो परमात्मा की प्राप्ति से ही संभव है – स्वामी भास्करानंद

Uncategorized

सत्य मनुष्य को निर्भय बनाता है। सत्य के स्वरुप का चिंतन भगवान कृष्ण का ही चिंतन होगा। कृष्ण ही जगत की उत्पत्ति के आधार और कारण हैं तथा उनकी प्रत्येक क्रिया में जीव के कल्याण का भाव होता है। यह बात मंगलवार को वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने गीता भवन में आयोजित भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दौरान भगवान की लीलाओं और गोवर्धन पूजा प्रसंग के दौरान कहीं। कथा में आज गोवर्धन पूजा का उत्सव मनाया। भगवान को छप्पन भोग अर्पित किए। बाल-ग्वालों ने भगवान की पूजा की। साध्वी कृष्णानंद ने मनोहारी भजनों से भक्तों को थिरकाया। स्वामी भास्करानंद ने कहा – स्नान से शरीर, संस्कार से गर्भ, तपस्या से इंद्रियां, संतोष से मन और यज्ञ से ब्राह्मणों की शुद्धि होती है। नंद बाबा ने गोकुल में कृष्ण के आने पर उत्सव मनाया। सुसज्जित एवं स्वर्ण से लदी हुई गायें दान की। दान से धन की शुद्धि होती है। जिस धन का उपयोग दुरुपयोग होता है, वह धन हमारे परिवार को विषाक्त बना देता है। धन का कुछ अंश यदि परमार्थ और सेवा के कामों लगाया जाए तो वह धन सार्थक और फलीभूत माना जाता है। दुनिया में कई तरह के सुख मिल सकते हैं। धन, वैभव, पद, प्रतिष्ठा और अन्य तरह के भोग-विलास से सुख तो मिल जाता है, लेकिन सच्चा आनंद तो परमात्मा की प्राप्ति से ही संभव है। बाकी सब सुख थोड़े समय के लिए हो सकते हैं, लेकिन भगवान से मिलने वाला सुख स्थायी होता है। भगवान कहीं और नहीं हमारे अंतर्मन में ही विराजित हैं, लेकिन उन्हें अनुभूत करने के लिए मन को मथना जरूरी है, जिस तरह मक्खन को मंथन के बाद घी में बदला जाता है, उसी तरह मन को मंथन भी किसी न किसी रूप में हमें परमात्मा की अनुभूति कराता है। भक्ति में सम्पूर्णता, निष्ठा और श्रद्धा होना चाहिए। यह कथा गोयल पारमार्थिक ट्रस्ट और रामदेव मन्नालाल चेरिटेबल द्वार आयोजित की गई है। गीता भवन में कथा 29 अगस्त तक रोजाना शाम 4 से 7 बजे तक होगी। बुधवार को कथा में रुक्मिणी विवाह और गुरुवार को सुदामा चरित्र प्रसंग के साथ फूलों की होली खेली जाएगी।