खंडवा में गोगा नवमी पर रातभर निकले निशान:12 छड़ियों में अयोध्या मंदिर, महाकाल लोक, गुरू गोरखनाथ के दर्शन

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वाल्मीकि समाज ने मंगलवार को श्री गोगा नवमी उत्सव धूमधाम से मनाया। शहर में रातभर चल समारोह निकले, इनमें 12 झिलमिलाती छड़ियां (निशान) शामिल हुई। चल समारोह का जगह-जगह स्वागत हुआ। इस दौरान 17 से 20 फीट के सेहरे में अयोध्या के श्रीराम मंदिर, महाकाल लोक और गुरु गोरखनाथ के नौ रूपों के दर्शन हुए। साथ ही श्री गोगादेव, गोरखनाथ के प्रसंगों की झांकी भी देखने को मिली है। समाजजनों के अनुसार, शहर में 126 साल से छड़ियां निकाली जा रही है। पहली बार गुरू गोरखनाथ के नौ रूपों की झांकी बनाकर निकाली गई है। शहर में वाल्मिकी समाज के 12 हजार से अधिक लोग हैं। इस उत्सव में शहर के सभी सामाजिक संगठन के लोग शामिल हुए। चल समारोह में बड़ाबम की दो, गांधीनगर की तीन, सिंघाड़ तलाई चार, सोलह खोली व अनाज मंडी, संत रैदास और घासपुरा से एक-एक छड़ियां शामिल की गई। गांधीनगर से पहली झांकी की शुरूआत करीब 7 बजे से हुई। सभी झांकियां केवलराम तिराहे पर एकत्रित हुई। जहां से बांबे बाजार, निगम तिराहा होते हुए दूध तलाई स्थित श्रीगोगा देव चौहान मंदिर पहुंची। वहां पूजा-अर्चना के बाद समारोह का समापन हुआ। वाल्मीकी समाज में सवा महीने तक गोगा देवजी की पूजा समाज के मनोहर सारसर और किशोर सारसर ने बताया कि गुरुगोरखनाथ जी के वरदान से पांच वीरों ने जन्म लिया। इनमें नरसिंग पांडे, भज्जु कोतवाल, रतन सिंह चावरिया (वाल्मीकि), नीला अश्वाय और गोगाजी महाराज शामिल थे। गोगा जी राजस्थान के जिला ददरेवा नगर में राज्य करते थे। जब दिल्ली के बादशाह ने आक्रमण किया तो सेनापति रतनसिंह चावरिया बहादुरी से लड़ते हुए शहीद युद्ध हो गए। युद्व से गोगा जी वापस घर लौटे और सेनापति के घर पहुंचकर रतनसिंह की माता राम देवती बाई से कहा कि आपका रतन बनकर रहूंगा। पिताजी श्यामलाल चावरिया को वचन दिया कि मेरा निशान समाज में जो भी उठाएगा, उसकी हर मुराद पूरी होगी। निशान में मैं हमेशा विराजमान रहूंगा। तब से वाल्मीकि समाज सावन-भादौ वन-भादौ में सवा महीने तक श्री गोगा देवजी का पूजन-अर्चना करता है। गोगा महाराज की जयंती पर वाल्मीकि समाज हर साल छड़ियों का चल समारोह निकालता है।