मप्र के 24 से अधिक नगर पालिका और परिषदों के अध्यक्षों को राहत मिल गई है। राज्य सरकार ने मंगलवार को मप्र नगर पालिका अधिनियम-1961 में संशोधन का अध्यादेश अधिसूचित कर दिया। कानून लागू कर दिया कि अब किसी भी अध्यक्ष के खिलाफ जब तक तीन चौथाई पार्षद अविश्वास नहीं लाते, उसे नहीं हटाया जा सकेगा। अविश्वास भी 3 साल के बाद ही लाया जा सकेगा। अभी तक 2 साल बाद दो तिहाई पार्षदों के अविश्वास लाने का नियम था। छह दिन पहले कैबिनेट में ही इस अध्यादेश को मंजूरी मिली थी। इसके बाद विधि विभाग ने इसे राज्यपाल को भेजा। राजभवन ने भी स्वीकृति दे दी। छुट्टियों के बाद पहले वर्किंग डे पर ही इसका नोटिफिकेशन कराया गया। नगरीय विकास विभाग के सूत्रों का कहना है कि यदि अध्यादेश की अधिसूचना जारी करने में और देरी करते तो पार्षदों के अविश्वास की प्रक्रिया कई जगहों पर शुरू हो जाती। अभी 27 जगहों पर यह प्रक्रिया चल पड़ी है। अध्यादेश को मंगलवार से ही प्रभावी कर दिया गया है। मऊगंज : अध्यक्ष के खिलाफ थे 15 में से 12 पार्षद
मऊगंज नगर परिषद के अध्यक्ष बृजवासी पटेल भाजपा के होने के बाद भी सिर्फ तीन साल बाद वाले नियम से बच जाएंगे। यहां के 15 में से 12 पार्षद अध्यक्ष पटेल के खिलाफ हैं। यह तीन साल वाले नियम से बच जाएंगे।
टीकमगढ़ और दमोह : वोटिंग तक पहुंची बात
टीकमगढ़ व दमोह नगर पालिका में कांग्रेस के अध्यक्ष क्रमश: पप्पू मलिक व मंजू वीरेंद्र राय के खिलाफ अविश्वास की तैयारी है। मामला कलेक्टर के पास है। वोटिंग की चर्चा है, लेकिन नए अध्यादेश से दोनों को राहत मिली।
चाचौड़ा और कुंभराज : दो अध्यक्ष एक साल सुरक्षित
चाचौड़ा नगर परिषद अध्यक्ष भाजपा की सुनीता प्रदीप नाटानी के विरोध में 15 में से 13 व कुंभराज में शारदा साहू पर 15 में से 13 पार्षदों ने असंतोष जताया है। अब यह कार्रवाई रुक जाएगी।
शाढोरा में भी राहत : 15 में से 8 पार्षदों ने विरोध किया
अशोकनगर के शाढोरा में 15 में से 8 पार्षदों ने नगर परिषद अध्यक्ष अशोक माहोर को हटाने का आवेदन दिया है। माहोर को अब एक साल राहत मिलेगी।