एशिया की पहली अखबारी कागज मिल नेपा लिमिटेड जल्द ही निजीकरण के क्षेत्र में आगे कदम बढ़ाकर 1956 से संचालित अस्पताल और पेट्रोल पंप निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है। इसकी घोषणा 15 अगस्त को मिल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक ने सार्वजनिक तौर पर कर दी थी। कार्यशील पूंजी के अभाव में मिल का संचालन सुचारु रूप से नहीं चल पा रहा है इसलिए प्रबंधक आत्मनिर्भर बनने के लिए कई तरीकों से प्रयास कर रहा है। इसमें ही पेट्रोल पंप और अस्पताल को निजी हाथों में सौंपा जाना भी है। गौरतलब है कि इससे पहले नेपा मिल सालों से संचालित स्कूल को निजी हाथों में सौंप चुकी है। अब अस्पताल और पेट्रोल पंप का भी निजीकरण करने की तैयारी की जा रही है। हाल ही में 15 अगस्त के अवसर पर नेहरू स्टेडियम ग्राउंड पर आयोजित समारोह में सीएमडी राकेश कुमार चोखानी ने कहा था कि नेपा मिल को आत्म निर्भर बनाने के लिए स्क्रेप बिक्री, स्टॉक में लंबे समय से रखे कागज की बिक्री की जा रही है। अनावश्यक खर्चों पर रोक लगाई जा रही है। इसके अलावा पेट्रोल पंप और अस्पताल को ठेके पर देकर इनसे बेहतर लाभ अर्जित करने की योजना पर काम किया जा रहा है। नेपा मिल द्वारा करीब लाख वर्गफीट क्षेत्र पट्टे पर दिया गया था जिसका नवीनीकरण पिछले करीब 50-60 सालों से नहीं हुआ है। इसके लिए नेपा मिल ने वन टाइम लीज स्कीम हाल ही में शुरू की है ताकि आमजन को इसका लाभ मिले। इसके अलावा निजी कंपनियों से प्रबंधन लगातार संपर्क में है। उनके साथ करार कर नेपा मिल की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। 150 करोड़ की वित्तीय सहायता के लिए 20 दिन पहले पीएम से मिले थे सांसद
करीब 20 दिन पहले खंडवा संसदीय सीट से सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर नेपा लिमिटेड के लिए वित्तीय सहायता की मांग की थी, लेकिन फिलहाल इसे लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है। सांसद ने प्रधानमंत्री को एक पत्र सौंपकर मांग की थी कि नेपा लिमिटेड नेपानगर आदिवासी विकासखण्ड खकनार जिला बुरहानपुर के नेपानगर तहसील में स्थित होकर इस अति पिछडे़ खण्डवा संसदीय क्षेत्र की नेपानगर विधानसभा के लगभग 100 गांवों की 50 हजार जनसंख्या प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से इस कारखाने पर निर्भर है। अर्थव्यवस्था की धुरी होकर रोजगार का एकमात्र साधन है। वर्ष 2012 में इस संस्थान में लगभग 2000 श्रमिक कार्यरत थे जो आज मात्र नियमित 141 ही शेष बचे हैं। इस कारखाने को भारत सरकार द्वार वर्ष 2012 व 2018 में नवीनीकरण के लिए 625 करोड रुपयों की आर्थिक सहायता दी गई थी। नवीनीकरण के कार्यों को पूरा कर 2022 से यह मिल व्यवसायिक उत्पादन व विक्रय प्रारम्भ कर चुका है। नवीनीकरण के बाद कार्यशील पूंजी के अभाव में कारखाना अपनी पूर्ण दक्षता के साथ उत्पादन करने में असमर्थ है। इसलिए उत्पादन प्रक्रिया जारी रखने के लिए 150 करोड़ रुपए की कार्यशील पूंजी की वित्तीय सहायता प्रदान करें। दोबारा अस्तित्व में आई है नेपा मिल
23 अगस्त 2022 को नेपा मिल दोबारा अपने अस्तित्व में आई है। इससे पहले मिल करीब सात साल तक बंद रही। यहां रिनोवेशन का काम चलता रहा। 2022 में इसके दोबारा अस्त्वि में आने से उम्मीद जागी थी कि नगर की अर्थव्यवस्था बेहतर होगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसके लिए अभी मिल को आर्थिक पैकेज की आवश्यकता है। अगर यह पैकेज मिलता है तो मिल में फिर से तेजी से उत्पादन प्रक्रिया होने लगेगी। अप्रैल से अगस्त तक 4487 मिट्रिक टन कागज उत्पाद किया गया
नेपा मिल ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 21607 मिट्रिक टन कागज का उत्पादन किया। इसी तरह 2023-24 में लेखन व मुद्रण पेपर का 1749 मिट्रिक टन कागज उत्पादन किया गया। वित्तीय वर्ष 2024-25 में अप्रैल से 11 अगस्त तक 4487 मिट्रिक टन कागज उत्पादन किया गया। मिल प्रबंधन प्रयास कर रहा है कि लक्ष्य से अधिक उत्पादन हो। ब्रेक डाउन को खत्म करने के भी प्रयास किए जाने की बात कही जा रही है।