शहर में स्ट्रीट डॉग को पकड़कर वैक्सीनेशन, उपचार और नसबंदी करने वाला एकमात्र एनजीओ चैरिटेबल वेलफेयर सोसायटी फॉर ह्यूमन काइंड एंड एनीमल्स ने काम करना बंद कर दिया है। कारण निगम द्वारा भुगतान नहीं किया जाना है। एनजीओ एक साल से शहर में काम कर रहा है। निगम ने फरवरी से भुगतान नहीं किया है, जो लगभग 17 लाख है। इसके चलते एनजीओ ने सोमवार से काम करना बंद करते हुए शहर में कुत्तों को पकड़ने के लिए गाड़ियां पहुंचाना बंद कर दिया है। इधर शहर में कुत्तों के काटने व उनके कारण घायल होने के कई केस रोजाना सामने आ रहे हैं। शहरवासी कुत्तों को क्षेत्रों से पकड़वाने की मांग करते हैं, जो कि नियम के के चलते नहीं किया जा सकता। इसी को देखते हुए नगर निगम द्वारा शहर में डॉग बाइट के मामले कम करने के लिए एनजीओ को काम सौंपा गया है। एनजीओ शहर से कुत्तों को पकड़कर सदावल स्थित डॉग हाउस लाता है। यहां वैक्सीनेशन और नसबंदी कर उन्हें तीन दिन के बाद उनके ही क्षेत्र में छोड़ा जाता है, ताकि कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण होने के साथ ही रैबीज का रोकथाम हो सके। अब ऐसे में एनजीओ द्वारा काम बंद कर देने के बाद डॉग बाइट के मामले शहर में और ज्यादा बढ़ सकते हैं। पहले भी एनजीओ ने बंद किया था काम एक महीने पहले भी एनजीओ ने भुगतान नहीं होने पर 7 से 8 दिन के लिए काम बंद कर दिया था। तब भी डॉग बाइट के मामले ज्यादा आने लगे, जिसके चलते संस्था ने फिर काम शुरू कर दिया था। एनजीओ की अध्यक्ष नीलम कौर ने बताया कि भुगतान कई महीनों से अटका है। इसे लेकर कई बार निगम आयुक्त को भी सूचना दी जा चुकी है। हमें स्टाफ, गाड़ी के डीजल, कुत्तों के लिए भोजन, दवाइयां की भी व्यवस्था करनी होती है। ऐसे में भुगतान नहीं होने पर हम अपना काम नहीं कर पा रहे हैं और हमें मजबूरी में काम बंद करना पड़ रहा है। भुगतान हो रहा, मेरे संज्ञान में ऐसा मामला नहीं आया संस्था को पेमेंट दिया जा रहा है। ऐसा कोई मामला मेरे संज्ञान में अभी तक नहीं आया है। अलग-अलग संस्थाएं काम करती हैं, जिन्हें भुगतान दिया जा रहा है। गाड़ी सोमवार को भी गई थी और वैक्सीनेशन कार्य भी चल रहा है। आशीष पाठक, निगमायुक्त