इन दिनों श्योपुर जिले के कई गांव वायरल फीवर और डायरिया की चपेट में हैं। ओछापुरा की आदिवासी बस्ती में 2 की मौत और 100 से ज्यादा लोगों के बीमार हैं। वहीं आमली के सहराना गांव में भी इस तरह के हालात सामने आए हैं। इस गांव में 10 दिनों के भीतर एक बालक सहित 3 की मौत हो चुकी है, जबकि 150 से ज्यादा महिला-पुरुष और बच्चे बीमार हैं। ऐसा कोई घर नहीं है जिसमें 3 से 4 लोग बीमार नहीं हो। फिर भी हैरान कर देने बाली बात है कि 10 दिन से बीमारियों से जूझ रहे इस गांव के ग्रामीणों की सुध लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग का अमला अब तक नहीं पुहंचा।ग्रामीण झोलाछापों से इलाज कराने को मजबूर हैं। आमली का सहराना गांव वायरल फीवर की चपेट में रविवार को दैनिक भास्कर संवाददाता ने आमली का सहराना गांव पहुंचकर हालात देखे तो वहां 40 से ज्यादा घरों पर ताले लटके मिले। जिन घरों में लोग रह रहे थे, उनमें से ज्यादातर बीमार थे। पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 15 दिनों से पूरा गांव वायरल फीवर और डायरिया की चपेट में है। रक्षाबंधन से एक दिन पहले 35 वर्षीय भरोषी आदिवासी पुत्र देवा आदिवासी, 8 वर्षीय पपीता पुत्री ब्रिजेश आदिवासी और 4 महीने के गोलू पुत्र जीतू आदिवासी सहित तीन लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 180 घर की बस्ती में ऐसा कोई घर नहीं है, जिसमें कोई बीमार नहीं हो। कई घरों में तो 3-4 लोग बीमार हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि जिस डॉक्टर के पास क्षेत्र की जिम्मेदारी है। वह कभी भी देखने नहीं आते हैं। एक नर्स है जो आती हैं। लेकिन वो अकेली क्या-क्या करें। झोलाछापों से इलाज कराने को मजबूर ग्रामीण आमली का सहराना गांव के ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में कोई भी डॉक्टर नहीं आता है। बाइक लेकर दो झोलाछाप जरुर आते हैं। लेकिन, हमारे पास इतने पैसे नहीं कि उनकी फीस और महंगी दवाइंया ले सके। इस वजह से बीमारी में ही पड़े हैं। गांव के जिन घरों पर ताले लगे हैं, उनमें से अधिकांश तो मजदूरी के लिए पलायन करके चले गए और अन्य लोग जंगल या अस्पताल में दिखाने के लिए गए हैं। इस वजह से घरों पर ताले लगे हैं। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि बीमारी का इलाज कराने के लिए अच्छे डॉक्टरों की टीम गांव में भेजी जाए। ताकि इलाज मिल सके। गांव वाले बोले- इलाज कराने पैसे नहीं जगराम आदिवासी का कहना है कि पूरे गांव में ऐसा कोई घर नहीं है। जिसमें बीमार मरीज नहीं हो। 170 से 180 बीमार हैं। वायरल फीवर और डायरिया की वजह से 4 लोगों की मौत हो चुकी है। गांव की ही पीतम ने बताया, मेरे घर में हम 4 लोग बीमार हैं। मेरे दोनों बच्चे बीमार हैं। कोई देखने बाला नहीं है, चाहे हम मर जाएं। झोलाछापों से इलाज नहीं करवा पा रहे हैं। क्योंकि, हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं। मजदूरी करके पेट पालते हैं। इतने पैसे कहां से लाएं? कलेक्टर बोले- मैं गांव में डॉक्टर्स की टीम भेजता हूं कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ ने कहा, आमली के सहराना में अगर इस तरह की बीमारी फैली हैं तो मैं तत्काल वहां डॉक्टर्स की टीम भेजता हूं। जहां भी बारिश के सीजन में बीमारी फैल रही है, तो मैं लोगों से भी अपील करुंगा कि वह नजदीकी अस्पताल पहुंचकर अपना जरुरी ट्रीटमेंट कराएं।