श्री महाकालेश्वर भगवान की भाद्रपद माह में निकलने पहली सवारी व क्रम अनुसार छठी सवारी 26 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व पर निकलेगी। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर राजा महाकाल प्रजा को दर्शन देने निकलेंगे। इस बार सवारी के साथ घटाटोप का मुखारविंद शामिल होगा। वहीं, बैतूल के गोण्ड जनजातीय के 50 से अधिक कलाकार ठाट्या नृत्य करते चलेंगे। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड ने बताया कि श्री महाकालेश्वर भगवान की छठी सवारी 26 अगस्त सोमवार को निकलेगी। इस दौरान पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर श्री शिवतांडव, नन्दी रथ पर श्री उमा-महेश, डोल रथ पर श्री होल्कर स्टेट के मुखारविंद के साथ ही रथ पर घटाटोप मुखारविंद सम्मिलित होगा। भगवान की सवारी निकलने के पूर्व सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन होगा। उसके पश्चात भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी जाएगी। सवारी के साथ भजन मंडली के अलावा हजारों भक्त झांझ, मंजीरे, ढोल, ढमरू बजाते हुए शामिल होंगे। वहीं, बैतूल के गोंड जनजातीय समूह द्वारा ठाट्या नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। गौरतलब है किमुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की पहल पर भगवान महाकालेश्वर की सवारी का वैभव और भव्यता को बढ़ाने के लिये पहली बार जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न अंचलों से आए जनजातीय समूहों के नृत्य भी इस बार महाकाल की सवारियों का हिस्सा बने हैं, जिससे न केवल सवारी की भव्यता, बल्कि उसका आकर्षण भी बढ़ा है। यह रहेगा सवारी का मार्ग सवारी महाकाल मंदिर से प्रारंभ होकर परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होती हुई रामघाट पहुंचेगी। जहां मां शिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया जाएगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी।